कर्नाटक में परिवहन कर्मचारियों की हड़ताल से बस सेवाएं प्रभावित, यात्री फंसे
अमित पवनेश
- 05 Aug 2025, 05:56 PM
- Updated: 05:56 PM
बेंगलुरु, पांच अगस्त (भाषा) कर्नाटक में राज्य सरकार के स्वामित्व वाले परिवहन निगमों के कर्मचारियों ने मंगलवार सुबह अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी, जिससे पू्रे राज्य में सार्वजनिक बस सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
परिवहन विभाग के अनुसार, बेंगलुरु शहर हड़ताल से प्रभावित नहीं हुआ है। विभाग के अनुसार, बेंगलुरु महानगर परिवहन निगम 99.8 प्रतिशत बस सेवाओं का संचालन करता है।
विभाग द्वारा साझा किए गए विवरण से पता चला कि कल्याण कर्नाटक क्षेत्र, जिसमें रायचूर, बल्लारी, कोप्पल, यादगीर, कलबुर्गी और बीदर शामिल हैं, सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां केवल 29.8 प्रतिशत सरकारी बसें ही संचालित हो रही हैं।
इससे पता चलता है कि उत्तर पश्चिम कर्नाटक सड़क परिवहन निगम (एनडब्ल्यू-केआरटीसी) द्वारा 59.4 प्रतिशत और कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) द्वारा 43.9 प्रतिशत बसों का संचालन किया गया।
अदालत द्वारा रोक लगाये जाने के बावजूद कर्मचारी संघों ने वेतन सहित अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का फैसला किया।
बसें डिपो पर खड़ी रहीं और कुछ ही फेरे लगाती नजर आईं, क्योंकि कुछ कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल नहीं होने का फैसला किया। परिवहन विभाग के सूत्रों ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में कुछ बसें चलीं, क्योंकि कुछ चालकों ने छात्रों की सुविधा के लिए उन्हें स्कूल पहुंचाने का काम करने का फैसला किया।
बस सेवाओं में व्यवधान के कारण, राज्य के कई हिस्सों में विद्यालयों, कॉलेज और कार्यालयों में उपस्थिति कम रही।
बताया जा रहा है कि परिवहन निगमों ने स्थिति को संभालने के लिए प्रशिक्षु बस चालकों की सेवाएं ली हैं। इसके अलावा, निजी बसों को भी सरकारी बस अड्डों से चलने की अनुमति दी गई है।
परिवहन अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में बेंगलुरू में बस सेवाएं प्रभावित हुईं लेकिन धीरे-धीरे शहर में सेवाओं में सुधार हुआ।
चिक्कमगलुरु, रायचूर, चित्रदुर्ग, हुब्बली, धारवाड़, बेलगावी, मंगलुरु, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, मदिकेरी, शिवमोगा और कलबुर्गी जैसे प्रमुख शहरों में बस अड्डों पर यात्रियों की भारी भीड़ देखी गई, हजारों लोग फंसे हुए हैं और अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सीमित संख्या में बसें चलने के कारण यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। सड़कों पर दौड़ने वाली बसों में अधिकतर वे बसें थीं जो हड़ताल के आधिकारिक रूप से शुरू होने से पहले ही सड़कों पर आ गई थीं।
हड़ताल के परिणामस्वरूप निजी बस संचालकों और कैब एग्रीगेटर को कथित तौर पर काफी लाभ हुआ, क्योंकि यात्रियों ने अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए उनकी ओर रुख किया।
कुछ यात्रियों ने शिकायत की कि बेंगलुरु में ऑटोरिक्शा चालक बहुत अधिक किराया वसूल रहे हैं।
यह विरोध प्रदर्शन मजदूर संघों और कर्नाटक सरकार के बीच वार्ता विफल होने के बाद शुरू हुआ। श्रमिक 38 महीने के बकाया वेतन और एक जनवरी, 2024 से प्रभावी वेतन संशोधन की मांग कर रहे हैं।
कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा हड़ताल पर अंतरिम रोक लगाने के बावजूद, संघों ने अपनी योजना पर आगे बढ़ने का फैसला किया।
उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा था, ‘‘यदि पूरा सार्वजनिक परिवहन ठप हो जाता है, तो आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, सरकार के साथ वार्ता के परिणाम की प्रतीक्षा में कल (पांच अगस्त) तक अंतरिम रोक लगाना उचित होगा। इसलिए अगली सुनवाई की तारीख तक प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित करने का निर्देश दिया जाता है।"
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कर्मचारी संघों से अपना प्रदर्शन वापस लेने की अपील की थी। हालांकि, यूनियन नेताओं ने कहा कि वे सरकार के केवल दो साल के बकाया भुगतान के प्रस्ताव से नाखुश हैं और उन्हें वेतन संशोधन पर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला है।
‘केएसआरटीसी स्टाफ एंड वर्कर्स फेडरेशन’ के अध्यक्ष एच वी अनंत सुब्बाराव ने कहा कि वे बातचीत से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें 38 महीने का बकाया चाहिए।’’
अदालत में सुनवाई के दौरान पीठ ने लंबे समय से लंबित वेतन संबंधी मुद्दों पर चिंता व्यक्त की और सरकार से देरी के बारे में सवाल किया।
उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने मंगलवार को परिवहन कर्मचारियों से अपना अड़ियल रुख छोड़कर अपनी ड्यूटी पर लौटने की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उनकी मांगों को अनुचित नहीं बताया है लेकिन परिवहन संघों को सरकार की बात भी समझनी चाहिए।
शिवकुमार ने कहा, “मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी उनकी मदद करना चाहते हैं। अब उन्हें स्थिति समझनी चाहिए। हमें नागरिकों का ध्यान रखना होगा। उन्हें उन चीजों के लिए जिद नहीं करनी चाहिए जो संभव नहीं हैं।”
उप-मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारी कर्मचारियों से अपील की कि वे समझें कि सरकार के लिए नागरिक महत्वपूर्ण हैं। शिवकुमार ने कहा, "सभी को सहयोग करना चाहिए। कुछ ड्राइवर और कंडक्टर ड्यूटी पर आए हैं, जिनका मैं स्वागत करता हूं। लोगों की रोज़ी-रोटी महत्वपूर्ण है। आपकी ज़िद का कोई मतलब नहीं है। यदि संभव होगा तो मुख्यमंत्री जरूर आपकी मदद करेंगे। आपको बेवजह ऐसा रवैया नहीं अपनाना चाहिए जिससे न्यायपालिका का अपमान हो।"
उन्होंने प्रदर्शनकारी कर्मचारियों से यह समझने को कहा कि वे समाज सेवा के लिए परिवहन सेवाओं में शामिल हुए हैं।
कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हड़ताल शांतिपूर्ण रही। मंत्री ने कहा, ‘‘किसी भी (अप्रिय) घटना की कोई सूचना नहीं है। कुछ छोटी-मोटी घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई है। पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए उचित व्यवस्था की है।’’
परमेश्वर ने कहा कि लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अगर पूरी सेवाएं बाधित होतीं, तो इससे बहुत परेशानी होती। उन्होंने कहा कि परिवहन कर्मचारियों में एक समूह है जो बसें चलाना चाहता है।
उन्होंने कहा कि कोलार और गडग में पथराव की मामूली घटनाएं हुईं, लेकिन कुल मिलाकर हड़ताल शांतिपूर्ण रही।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर निशाना साधते हुए उनसे "गहरी नींद" से बाहर आने और लोगों को परेशानी से बचाने के लिए इस मुद्दे को सुलझाने को कहा।
मुख्य विपक्षी दल ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर भी सवाल उठाए और सवाल किया कि सरकार कर्मचारियों की सभी कानूनी मांगों को पूरा करने और उन्हें काम पर वापस लाने में असमर्थ क्यों है?
भाषा अमित