विपक्षी सांसदों ने पहलगाम हमले को ‘खुफिया और सुरक्षा चूक’ का नतीजा बताया
वैभव सुरेश
- 29 Jul 2025, 09:09 PM
- Updated: 09:09 PM
नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) लोकसभा में मंगलवार को कई विपक्षी सदस्यों ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला ‘‘पूरी तरह से खुफिया और सुरक्षा विफलता’’ का नतीजा था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सवालों से बच रही है और सच्चाई छिपा रही है।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में चर्चा के दौरान सरकार को घेरने की कोशिश करते हुए कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों के सांसदों ने दावा किया कि नरेन्द्र मोदी-नीत सरकार की विदेश नीति ‘विफल’ रही है, क्योंकि जी-20 और ब्रिक्स सहित किसी भी बड़े समूह ने इस घटना के बाद पाकिस्तान की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित नहीं किया।
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी सरकार से पहले ही भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम की घोषणा कर दी, जो ‘तीसरे पक्ष का स्पष्ट हस्तक्षेप’ है।
अलप्पुझा (केरल) के सांसद ने कहा कि भारत के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के भाषण की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री ने सभी मुद्दों पर बात की, लेकिन ‘सुरक्षा विफलता’ के बारे में नहीं।
वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ने दावा किया कि कश्मीर जाना सुरक्षित है, लेकिन क्या पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य नहीं है? उन्होंने आगे कहा कि जब आतंकवादियों ने पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या की थी, तब कोई सुरक्षा घेरा नहीं था।
चर्चा में भाग लेते हुए, द्रमुक के ए. राजा ने कहा कि सरकार को हर चीज के लिए जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को दोष नहीं देना चाहिए।
राजा ने कहा कि जी7, जी20 और ब्रिक्स जैसे बड़े समूहों में से किसी ने भी पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की निंदा करने वाला प्रस्ताव पारित नहीं किया।
उन्होंने जानमाल के नुकसान के लिए ‘पूरी तरह से खुफिया विफलता और प्रशासन की अक्षमता’ को जिम्मेदार ठहराया।
आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर ने कहा कि कई सवाल अनुत्तरित हैं, जैसे कि आतंकवादी पर्यटन स्थल तक कैसे पहुंच गए।
जम्मू कश्मीर के बारामूला से निर्दलीय सांसद शेख अब्दुल रशीद ने कहा कि पहलगाम हमला मानवता पर एक कलंक है।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह दावा कि घाटी में सब कुछ सामान्य है, केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम लाशें ढोते-ढोते थक गए हैं।’’
रशीद ने पूछा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का संदेश दुनिया में देने के लिए विभिन्न देशों में भेजे गए सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल में कश्मीर के कितने सदस्य थे।
भाषा वैभव