भारत-ब्रिटेन एफटीए पर हस्ताक्षर, 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शुल्क हटने से बढ़ेगा व्यापार
प्रेम प्रेम अजय
- 24 Jul 2025, 07:46 PM
- Updated: 07:46 PM
(अदिति खन्ना)
लंदन, 24 जुलाई (भाषा) भारत और ब्रिटेन ने बृहस्पतिवार को ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलने, 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शुल्क श्रेणियां खत्म होने, हजारों रोजगार के सृजन और ब्रिटिश व्हिस्की, कार एवं कई अन्य वस्तुओं पर शुल्क घटाने का रास्ता साफ होगा।
आधिकारिक तौर पर ‘व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता’ (सीईटीए) नाम वाले इस मुक्त व्यापार समझौते पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटिश व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर भी मौजूद थे। इससे पहले स्टार्मर ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री के परंपरागत ग्रामीण आवास ‘चेकर्स’ में प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि दोनों देशों के बीच तीन साल की बातचीत के बाद इस व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया है। इससे भारतीय वस्तुओं के लिए सभी क्षेत्रों में व्यापक बाजार पहुंच सुनिश्चित होने की उम्मीद है।
अधिकारियों ने कहा कि इस समझौते के तहत 99 प्रतिशत उत्पाद श्रेणियों के पूरी तरह शुल्क-मुक्त होने से भारत को फायदा होगा। यह छूट लगभग 100 प्रतिशत व्यापार मूल्य को समाहित करती है।
यह ब्रिटिश कंपनियों के लिए व्हिस्की, कार और अन्य उत्पादों का भारत में निर्यात भी आसान करेगा। इस तरह दोनों देशों के बीच कुल व्यापार में बढ़ोतरी होगी।
इस मौके पर स्टार्मर ने भारतीय प्रधानमंत्री का अभिवादन करते हुए कहा, ‘‘मैं इस समझौते को दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक दिन मानता हूं। यह एक-दूसरे से की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का दिन भी है।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रिटेन एवं भारत ‘स्वाभाविक साझेदार’ हैं और दोनों देश अपने इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस व्यापार समझौते के बाद भारतीय वस्त्र, जूते, रत्न एवं आभूषण, समुद्री खाद्य और इंजीनियरिंग वस्तुओं को ब्रिटेन में बेहतर बाज़ार मिलेगा और कृषि उत्पादों एवं प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग को वृद्धि के नए अवसर मिलेंगे।
मोदी ने कहा, ‘‘यह समझौता भारत के युवाओं, किसानों, मछुआरों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित होगा। दूसरी ओर, ब्रिटेन में बने चिकित्सा उपकरण और वैमानिकी उपकरण जैसे उत्पाद भारत के लोगों एवं उद्योगों तक किफायती एवं आकर्षक कीमत पर पहुंच सकेंगे।’’
उन्होंने बताया कि दोनों देश एफटीए के साथ ‘दोहरे अंशदान समझौते’ (डीसीसी) पर भी आम सहमति पर पहुंचे हैं। इससे दोनों देशों के सेवा क्षेत्रों, खासकर प्रौद्योगिकी और वित्त, में नई ऊर्जा का संचार होगा।
प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन-भारत संबंधों के लिए क्रिकेट की शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘‘कभी-कभी गेंद पर बल्ला चलाने में चूक हो सकती है, लेकिन हम सीधे बल्ले से खेलने और बड़े स्कोर वाली ठोस साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
व्यापार समझौते पर दस्तखत होने के कुछ देर पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस समझौते से समूचे ब्रिटेन में हजारों रोजगार पैदा होंगे, कंपनियों को नए अवसर मिलेंगे और वृद्धि को रफ्तार मिलेगी।
ब्रिटेन के व्यापार एवं व्यवसाय विभाग (डीबीटी) ने कहा कि समझौता लागू होने के बाद औसत सीमा शुल्क 15 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत रह जाएगा। इससे भारतीय उपभोक्ताओं को सॉफ्ट ड्रिंक, सौंदर्य प्रसाधन, कार एवं चिकित्सा उपकरण जैसे बेहतरीन ब्रिटिश उत्पादों तक आसान पहुंच मिलेगी।
डीबीटी के मुताबिक, व्हिस्की उत्पादकों को शुल्क में आधी कटौती से लाभ होगा, जिसे तत्काल 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया जाएगा। अगले 10 वर्षों में इसे और भी घटाकर 40 प्रतिशत पर लाया जाएगा जिससे ब्रिटेन को भारतीय बाजार में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त मिलेगी।
भारत से ब्रिटेन को होने वाले लगभग आधे निर्यात पर शुल्क समाप्त हो जाएगा, जिनमें कपड़ा, जूते और आम एवं अंगूर जैसे कृषि उत्पाद शामिल हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ब्रिटेन पहले से ही भारत से 11 अरब पाउंड का सामान आयात करता है लेकिन भारतीय वस्तुओं पर शुल्क कम होने से ब्रिटिश उपभोक्ताओं एवं कंपनियों के लिए भारतीय उत्पादों की खरीद अधिक आसान और सस्ती हो जाएगी। इससे भारतीय कंपनियों की तरफ से ब्रिटेन को किए जाने वाले निर्यात में भी बढ़ोतरी होगी।
व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते के विश्लेषण से पता चलता है कि दीर्घावधि में ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना 4.8 अरब पाउंड की बढ़ोतरी होगी, जिसका फायदा ब्रिटेन के हर क्षेत्र को होगा।
विनिर्माण क्षेत्र को खास लाभ होगा, जिसमें वैमानिकी कलपुर्जों पर शुल्क 11 प्रतिशत से घटाकर शून्य, वाहन पर 110 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत होगा।
शुल्क कटौती और नियामकीय बाधाओं में कमी से वर्ष 2040 तक ब्रिटेन का भारत को निर्यात लगभग 60 प्रतिशत बढ़ सकता है, जो 15.7 अरब पाउंड के अतिरिक्त निर्यात के बराबर है।
ब्रिटेन का आधिकारिक अनुमान है कि यह समझौता 2040 तक द्विपक्षीय व्यापार में लगभग 39 प्रतिशत की वृद्धि करेगा, जो सालाना 25.5 अरब पाउंड के बराबर है।
भाषा प्रेम प्रेम