जमीन के बदले नौकरी मामला: लालू के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही स्थगित करने पर फैसला सुरक्षित
यासिर पारुल
- 24 Jul 2025, 07:36 PM
- Updated: 07:36 PM
नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज जमीन के बदले नौकरी मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही को स्थगित करने के अनुरोध वाली याचिका पर अपना फैसला बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया।
लालू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा को सूचित किया कि पूर्व रेल मंत्री (लालू) के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अपेक्षित मंजूरी के अभाव के आधार पर प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध को लेकर उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई होनी है।
सिब्बल ने उच्च न्यायालय में इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध भी किया।
निचली अदालत ने लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव के खिलाफ आरोपों पर बहस शुरू करने की तिथि 26 जुलाई तय की है।
सिब्बल ने कहा, ‘‘इस याचिका पर उच्च न्यायालय के निर्णय से पहले आरोपों पर मेरी दलीलें निचली अदालत को सुनने दीजिए।’’
लालू का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि अगर उच्च न्यायालय के वर्तमान आवेदन पर निर्णय देने से पहले निचली अदालत आरोपों पर दलीलें सुन लेती है, तो उच्च न्यायालय में याचिका व्यर्थ हो जाएगी।
उच्चतम न्यायालय ने 18 जुलाई को निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने 29 मई को कहा था कि कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई ठोस कारण नहीं है।
उच्च न्यायालय ने सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की लालू की अर्जी पर जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया। उसने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की।
यह मामला 2004 से 2009 के बीच लालूके रेल मंत्री रहने के दौरान मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम-मध्य जोन में समूह ‘डी’ की नियुक्तियों से संबंधित है।
ये नियुक्तियां कथित तौर पर राजद अध्यक्ष के परिजनों या सहयोगियों के नाम पर उपहार में दी गई या हस्तांतरित की गई जमीन के बदले में की गई थीं।
उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में लालू ने प्राथमिकी और 2022, 2023 तथा 2024 में दायर तीन आरोपपत्र समेत उसके बाद के संज्ञान आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्राथमिकी लगभग 14 साल की देरी के बाद मई 2022 में दर्ज की गई, जबकि सीबीआई ने सक्षम न्यायालय में ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल करते हुए मामले में पूछताछ और जांच पहले ही बंद कर दी थी।
याचिका में कहा गया है, ‘‘पिछली जांच और उसकी ‘क्लोजर रिपोर्ट’ को छिपाकर नयी जांच शुरू करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।’’
भाषा यासिर