महाराष्ट्र : गर्भवती महिला को साड़ी से बने ‘झूले’ में लादकर अस्पताल ले गए ग्रामीण
पारुल नेत्रपाल
- 23 Jul 2025, 09:33 PM
- Updated: 09:33 PM
मुंबई, 23 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले में प्रसव पीड़ा से कराह रही एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को उसे साड़ियों से बने एक अस्थायी झूले में लादकर एक किलोमीटर से अधिक दूरी तय करनी पड़ी।
समय पर चिकित्सीय सहायता पाने के लिए मनीषा भावर की इस संघर्षपूर्ण यात्रा का एक हृदयविदारक वीडियो सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर साझा किया जा रहा है। यह घटना राज्य के कुछ ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे की कमी की ओर ध्यान आकर्षित करती है।
मुंबई से लगभग 100 किलोमीटर दूर शाहपुर तहसील के बावरपाड़ा गांव की रहने वाली मनीषा को अपने घर पर प्रसव पीड़ा शुरू हुई।
खराब सड़क संपर्क के मद्देनजर एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध न हो पाने के कारण मनीषा के रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उसे निकटतम उप-जिला सिविल अस्पताल तक ले जाने के लिए साड़ियों से एक अस्थायी झूला बनाया।
प्रसव पीड़ा से कराह रही मनीषा को झूले में लादकर फिसलन भरे रास्ते से होते हुए अस्तपाल ले जाया गया। इस दौरान, जरा-सी भी चूक महिला के और उसके अजन्मे शिशु के लिए मुसीबत बन सकती थी।
मनीषा के रिश्तेदारों ने बताया कि जच्चा-बच्चा सुरक्षित हैं और उनका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।
इस संबंध में एक ग्रामीण ने लंबे समय से लंबित बुनियादी ढांचे की समस्याओं पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘हमारे गांव से मुख्य जिला सड़क तक का रास्ता कीचड़ से भरा है। हमने उचित सड़क संपर्क की मांग की है, लेकिन इस दिशा में अभी तक कुछ नहीं हुआ है।’’
स्थानीय निवासियों ने बताया कि शाहपुर तहसील में यह अपनी तरह का कोई पहला मामला नहीं है।
पिछले महीने पड़ोसी चाफेवाड़ी गांव का ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था। गांव तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता न होने के कारण 21 वर्षीय गर्भवती महिला संगीता रवींद्र मुकाने को भी इसी तरह मुख्य सड़क तक पहुंचाया गया, जहां एक एम्बुलेंस उसका इंतजार कर रही थी।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश खोडका ने कहा, ‘‘लोग सड़क, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमें अभी तक ये सुविधाएं नहीं मिली हैं। महिलाओं को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में उनका स्वास्थ्य और जीवन दांव पर होता है।’’
राज्य जनजातीय विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में शाहपुर और पड़ोसी पालघर जिले जैसे जनजातीय अधिसूचित क्षेत्रों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां गर्भवती महिलाओं की जान चली गई, क्योंकि वे या तो समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सकीं या फिर उन्हें उचित उपचार नहीं मिल पाया।
अधिकारी के मुताबिक, दूरदराज के गांवों और बस्तियों तक सड़क संपर्क सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानसून खत्म होते ही सड़कों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया जाएगा, जिससे स्थानीय लोगों को मदद मिलेगी।
भाषा पारुल