विश्व के सबसे ऊंचे विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में 14 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई
नोमान रंजन
- 23 Jul 2025, 03:48 PM
- Updated: 03:48 PM
(श्रुति भारद्वाज)
लद्दाख, 23 जुलाई (भाषा) लद्दाख के सिंधु केन्द्रीय विश्वविद्यालय (एससीयू) के प्रथम दीक्षांत समारोह के दौरान तीन स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के 14 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई।
केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान में मंगलवार को सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रथम बैच के 14 छात्रों को संस्थान के प्रथम दीक्षांत समारोह के दौरान लद्दाख के मुख्य सचिव पवन कोटवाल और विश्वविद्यालय के अन्य कार्यकारी सदस्यों की उपस्थिति में डिग्री दी गई।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के निदेशक और एससीयू की कार्यकारी परिषद और शैक्षणिक परिषद के अध्यक्ष वी कामकोटि ने बताया कि विश्वविद्यालय की स्थापना केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत की गई थी और इसकी आधारशिला 20 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई थी।
कामकोटि ने कहा, “एससीयू को एक ऐसे केंद्र के रूप में तैयार किया जा रहा है जहां परंपरागत तरीकों से हटकर और अलग-अलग विषयों को मिलाकर पढ़ाई कराई जाएगी। यह भारत के 17 सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार काम करेगा। यह विश्वविद्यालय 2028 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा। तब तक, करीब 60 छात्रों की पढ़ाई के लिए लद्दाख में एक नया अस्थायी कैंपस शुरू किया गया है। इसमें लाइब्रेरी, एक मल्टीफंक्शनल लैब, क्लासरूम और छात्रावास जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।"
आईआईटी मद्रास सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय का मार्गदर्शक संस्थान है। विश्वविद्यालय का स्थायी परिसर समुद्र तल से लगभग 3,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित खलत्सी गांव में बन रहा है।
साल 2024 में अपने पहले शैक्षणिक सत्र में, विश्वविद्यालय ने तीन स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू किए जिनमें ऊर्जा प्रौद्योगिकी और नीति में एमटेक, वायुमंडलीय और जलवायु विज्ञान में एमटेक और सार्वजनिक नीति में एमए शामिल है।
विश्वविद्यालय ने हाल में बौद्ध अध्ययन और दर्शनशास्त्र में एम.ए. पाठ्यक्रम शुरू किया है।
लेह से स्नातक तेनज़िन ज़ेंगकिंग ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के बारे में पता चला और वह स्थिरता और ऊर्जा पर इसकी तवज्जो से आकर्षित हुए।
उन्होंने कहा, "यह पाठ्यक्रम उद्देश्यपूर्ण लगा, खासकर लद्दाख जैसे स्थान पर जहां स्थिरता रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा है।"
भाषा नोमान