हरियाणा आपराधिक न्याय सुधार में अग्रणी राज्य बनकर उभरा: अधिकारी
यासिर माधव
- 08 Jul 2025, 09:40 PM
- Updated: 09:40 PM
नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) हरियाणा में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में मात्र 140 दिनों के भीतर मौत की सजा सुनाए जाने के साथ ही ये आपराधिक न्याय सुधार में अग्रणी राज्य के रूप में उभर कर सामने आया हैं। यहां मंगलवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मात्र कुछ ही दिनों के भीतर सजा सुनाए जाने से राज्य ने पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता का उदाहरण भी पेश किया।
हरियाणा की अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सुमिता मिश्रा ने बताया कि राज्य ने उन्नत प्रौद्योगिकी, उन्नत फोरेंसिक बुनियादी अवसंरचना और भारत के नए आपराधिक कानूनों के तहत गहन प्रशिक्षण के माध्यम से एक राष्ट्रीय मानक स्थापित किया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कार्यप्रणाली, अभियोजन, जांच और अदालती प्रक्रियाओं में महत्वाकांक्षी सुधार की अगुवाई करते हुए हरियाणा के ‘मॉडल’ की ‘समग्र और प्रौद्योगिकी-संचालित’ दृष्टिकोण के लिए सराहना की गई है।
भारत मंडपम में राष्ट्रीय फोरेंसिक प्रदर्शनी के दौरे के दौरान यहां पत्रकारों से बातचीत में मिश्रा ने कहा कि हरियाणा के सुधारों की रीढ़ एक विशाल क्षमता निर्माण पहल है, जिसके तहत 54 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) के सूक्ष्म प्रावधानों में प्रशिक्षित किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में न केवल कानूनी समझ बल्कि पीड़ित की संवेदनशील जांच और आधुनिक साक्ष्य प्रबंधन पर भी जोर दिया गया। समानांतर रूप से, 37,800 से अधिक अधिकारियों को ‘आई गोट कर्मयोगी’ मंच पर शामिल किया गया है।
मिश्रा ने बताया कि हरियाणा में ई-समन और ई-साक्ष्य के तहत डिजिटल पुलिसिंग पूरी तरह कार्यान्वयन है। अब 91.37 प्रतिशत से अधिक समन इलेक्ट्रॉनिक रूप से जारी किए जाते हैं, जबकि 100 प्रतिशत तलाशी और जब्ती डिजिटल रूप से दर्ज की जाती है।
उन्होंने कहा कि ये सुधार केवल सैद्धांतिक नहीं हैं, बल्कि परिणाम भी दे रहे हैं।
मिश्रा दावा किया कि 140 दिन की मृत्युदंड सजा के अलावा, कई अन्य आपराधिक मुकदमे 20 दिन से कम समय में समाप्त हो गए हैं, जो हरियाणा की त्वरित, कुशल और पारदर्शी न्याय प्रदान करने की क्षमता को दर्शाता है।
भाषा यासिर