खेल मंत्री मांडविया ने अस्मिता भारोत्तोलन लीग का उद्घाटन किया
सुधीर आनन्द
- 08 Jul 2025, 08:10 PM
- Updated: 08:10 PM
मोदीनगर, आठ जुलाई (भाषा) खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को भारोत्तोलन के साथ शुरू हुई अस्मिता लीग के 2025 सत्र का उद्घाटन किया।
भारोत्तोलन वारियर्स अकादमी में आयोजित दो दिवसीय प्रतियोगिता में 42 लड़कियां आठ वजन वर्ग में प्रतिस्पर्धा करेंगी।
मांडविया ने कहा, ‘‘हमारा मिशन हर स्तर पर अवसर पैदा करना और फिर प्रतिभाओं को पहचानना और उन्हें तैयार करना है। मैं देख रहा हूं कि यहां आए इन बच्चों की आंखों में कुछ कर गुजरने की ललक है। मुझे यकीन है कि हम एक और मीराबाई चानू ढूंढ़ने में सक्षम होंगे। मीराबाई चानू से बेहतर आदर्श कोई नहीं हो सकता।’’
चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अस्मिता (महिलाओं को प्रेरित करके खेल उपलब्धि हासिल करना) में 15 खेलों में 852 लीग की योजना बनाई गई है जो लीग और प्रतियोगिता के माध्यम से महिलाओं के बीच खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलो इंडिया के लिंग तटस्थ मिशन का एक हिस्सा है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली लीग में 70 हजार से अधिक महिला खिलाड़ी भाग लेंगी। पिछले सत्र में 27 खेलों में 550 लीग का आयोजन किया गया था जिसमें 53,101 महिला खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
मांडविया ने कहा, ‘‘हम भारत के हर कोने तक पहुंचने और महत्वाकांक्षी खिलाड़ियों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि अब हमारे पास आपके आगे बढ़ने और चमकने का एक रास्ता है। हमारी खेलो भारत नीति (खेल नीति) को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ मिलकर हम स्कूली खेलों को बहुत बढ़ावा दे रहे हैं।’’
खेल एवं युवा मामलों की राज्य मंत्री रक्षा खडसे और तोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू उद्घाटन समारोह में मौजूद गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थीं।
खडसे ने कहा, ‘‘अस्मिता हमारे मजबूत खेल कार्यक्रम का एक बड़ा स्तंभ है। महिलाओं ने खेलों में उत्कृष्टता हासिल करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है और उनके लिए कोई सीमा नहीं है। बच्चों के इरादों को विकसित करने की जरूरत है।’’
चानू ने कहा कि 2021 में शुरू हुई अस्मिता लीग खेलों में महिलाओं के लिए बहुत बड़ा वरदान रही है।
चानू ने कहा, ‘‘सिर्फ महिलाओं के लिए एक योजना बहुत बड़ी बात है। पहले ऐसा नहीं था। खिलाड़ियों के लिए यह बहुत बड़ी बात है। अब हर किसी के पास यह विजन है कि इसे उच्चतम स्तर तक कैसे पहुंचाया जाए।’’
भाषा सुधीर आनन्द