वर्ष 2008 से 2017 के बीच जन्मे डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों में पेट के कैंसर का खतरा: शोध रिपोर्ट
संतोष दिलीप
- 08 Jul 2025, 05:37 PM
- Updated: 05:37 PM
नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) दुनियाभर में वर्ष 2008 से 2017 के बीच जन्मे डेढ़ करोड़ से अधिक लोग जीवन में कभी न कभी पेट के कैंसर से पीड़ित हो सकते हैं और ऐसे लोगों की सर्वाधिक संख्या चीन के बाद भारत में होगी। एक शोध रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।
इसमें कहा गया है कि इन अनुमानित डेढ़ करोड़ कैंसर मरीजों में से दो-तिहाई लोग एशियाई देशों के हो सकते हैं, जबकि इसके बाद अमेरिका और अफ्रीका का स्थान आता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की कैंसर एजेंसी ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ के शोधकर्ताओं सहित अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर अनुमानित मृत्यु दर के साथ-साथ ‘जीएलओबीओसीएएन’ (ग्लोबोकैन)-2022 के डेटाबेस का उपयोग करके 185 देशों में ‘गैस्ट्रिक कैंसर’ यानी पेट के कैंसर की घटनाओं के आंकड़ों का विश्लेषण किया।
‘नेचर’ मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के लेखकों ने कहा, ‘‘विश्व स्तर पर इस अवधि में जन्मे 1.56 करोड़ लोगों को जीवन में कभी न कभी पेट का कैंसर होने की आशंका है, जिनमें से 76 प्रतिशत लोगों में कैंसर का कारण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (बैक्टीरिया) बनेगा।
पेट में पाए जाने वाले एक सामान्य बैक्टीरिया ‘हेलिकोबैक्टर पाइलोरी’ के कारण होने वाला लगातार संक्रमण पेट के कैंसर का मुख्य कारण माना जाता है, जो दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों का पांचवां प्रमुख कारण है।
लेखकों ने ‘गैस्ट्रिक कैंसर’ (पेट का कैंसर) की रोकथाम में और अधिक निवेश करने का आह्वान किया विशेष रूप से जनसंख्या के स्तर पर जांच और जीवाणु संक्रमण का उपचार करने के माध्यम से। इस तरह के कैंसर को प्रभावी उपचार के माध्यम से रोका जा सकता है।
उन्होंने कहा कि युवाओं और बुजुर्गों में बढ़ती घटनाएं पेट के कैंसर के मामलों और इससे जुड़ी मृत्यु दर को कम करने के हाल के प्रयासों पर पानी फेर सकती है।
अध्ययन में अनुमान जताया गया है कि एशिया में पेट के कैंसर के 1.06 करोड़ नए मामले सामने आएंगे, जिनमें से 65 लाख मामलों के भारत और चीन में होने की आशंका है।
इस अनुमान के मुताबिक, पेट के कैंसर को नियंत्रित करने के मौजूदा उपायों में कोई बदलाव नहीं होने पर भारत में ऐसे मामले 16,57,670 तक पहुंच सकते हैं।
लेखकों ने कहा कि उप-सहारा अफ्रीका (जहां वर्तमान में पेट के कैंसर का बोझ अपेक्षाकृत कम है) भविष्य में 2022 के अनुमानों की तुलना में कम से कम छह गुना अधिक ऐसे मरीजों का बोझ देख सकता है।
हालांकि, अगर आबादी में पेट के कैंसर को नियंत्रित करने के उपाय किए जाते हैं, जैसे कि जीवाणु संक्रमण की जांच और उपचार, तो लेखकों ने पाया कि रोग के प्रत्याशित मामलों को 75 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
भाषा संतोष