नाबालिग के यौन उत्पीड़न के जुर्म में व्यक्ति को 10 साल सश्रम कारावास की सजा
नरेश
- 08 Jul 2025, 04:44 PM
- Updated: 04:44 PM
ठाणे, आठ जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र की ठाणे जिला अदालत ने 13 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीएस देशमुख ने आरोपी प्रिंस संतोष मिश्रा को भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत दोषी पाया। अदालत ने तीन जुलाई को दिए अपने आदेश में उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है जो पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।
इसके अलावा पीड़िता के लिए और मुआवजे पर विचार करने के लिए मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को भेज दिया गया है।
विशेष सरकारी अभियोजक रेखा हिवराले ने कोर्ट को बताया कि यह घटना 2 नवंबर, 2018 की है जब एक पड़ोसी ने लड़की की मां को सचेत किया कि किशोरी दो लड़कों के साथ ऑटोरिक्शा में चली गई है। घर लौटने पर लड़की ने अपनी मां को बताया कि आरोपी ने उसे अपने साथ एक दोस्त के घर चलने को कहा था।
आरोपी ने अपने दोस्त के घर पर लड़की का यौन उत्पीड़न किया, और वह किसी तरह खुद को छुड़ाकर घर भाग आई।
आरोपी को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 के तहत भी दोषी ठहराया गया, क्योंकि लड़की अनुसूचित जाति समुदाय से आती है।
अदालत ने पीड़िता के बयान में एकरूपता देखी। अदालत ने कहा, "पीड़िता के साक्ष्य इस बात पर एकरूप हैं कि आरोपी प्रिंस ने अन्य आरोपियों के कमरे में उसके साथ यौन उत्पीड़न किया।"
कोई दस्तावेजी सबूत नहीं होने के कारण अदालत ने मिश्रा के बचाव को खारिज कर दिया कि कर्ज विवाद के चलते शिकायत गढ़ी गई थी।
अदालत ने सह-आरोपी बताए गए मिश्रा के मित्र अकरम चांद खान को घटना की कोई जानकारी नहीं होने की बात मानते हुए बरी कर दिया।
सजा सुनाए जाने के दौरान मिश्रा के वकील ने उसकी उम्र और अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाला सदस्य होने तथा पांच साल की कैद का हवाला देते हुए नरमी बरतने की अपील की।
न्यायाधीश ने आरोपी की परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए कहा, "बच्चो के यौन उत्पीड़न के कृत्य को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।"
भाषा