विशेषज्ञों ने ई-सिगरेट के स्वास्थ्य जोखिमों पर प्रकाश डाला, सरकार से त्वरित कार्रवाई का आग्रह
पारुल पवनेश
- 08 Jul 2025, 04:02 PM
- Updated: 04:02 PM
नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) चिकित्सा विशेषज्ञों ने ई-सिगरेट के स्वास्थ्य जोखिमों पर प्रकाश डालते हुए किशोरों को इनके इस्तेमाल से रोकने के उपाय करने पर जोर दिया है।
ई-सिगरेट के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए काम करने वाले संगठन 'मदर्स अगेंस्ट वेपिंग' के आंदोलन का समर्थन कर रहे चिकित्सकों के एक समूह ने कहा कि ई-सिगरेट के स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभाव हैं, जिनमें खांसी, गला सूखना, सांस लेने में तकलीफ और सिरदर्द जैसी समस्याएं शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि अधिक चिंताजनक बात यह है कि ई-सिगरेट के इस्तेमाल से दिल की सेहत प्रभावित हो सकती है, रक्तचाप बढ़ सकता है, हृदय गति तेज हो सकती है और यहां तक कि दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
मेदांता अस्पताल के ईएनटी, हेड एंड नेक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. केके हांडा ने कहा कि यह आम मिथक कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल धूम्रपान के मुकाबले सुरक्षित है, पूरी तरह से गलत है।
उन्होंने कहा, "लंबे समय तक ई-सिगरेट के इस्तेमाल से फेफड़े खराब हो सकते हैं, क्योंकि इससे निकलने वाली 'वेप' (वाष्पीकृत पदार्थ) में निकोटीन होता है, जिसकी लत लगने की आशंका रहती है। 'वेप' की लत समय के साथ अवसाद और चिंता जैसी गंभीर मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है। इसके अलावा, 'वेपिंग' के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ई-सिगरेट कभी-कभी आग भी पकड़ सकती है। इसलिए, 'वेपिंग' बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है।"
'मदर्स अगेंस्ट वेपिंग' के मुताबिक, कई अध्ययनों में 'वेपिंग' और ई-सिगरेट के स्वास्थ्य संबंधी खतरों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।
जॉन्स हॉपकिंस मेडिसिन के अप्रैल 2025 के अध्ययन में चार साल की अवधि में लगभग 2,50,000 लोगों से जुटाए गए चिकित्सा डेटा का विश्लेषण किया गया। इस दौरान, ई-सिगरेट के इस्तेमाल और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) तथा उच्च रक्तचाप के खतरे के बीच गहरा संबंध पाया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बच्चों की सुरक्षा और ई-सिगरेट के इस्तेमाल को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया है।
ये उत्पाद बाजार में खुलेआम उपलब्ध हैं और युवाओं के बीच इनका आक्रामक तरीके से विपणन किया जाता है। ई-सिगरेट के इस्तेमाल से बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें कम उम्र में ही निकोटीन की लत में फंसाया जा रहा है।
पंजाबी बाग स्थित एमजीएस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के निदेशक डॉ. हरीश भाटिया ने कहा कि 'वेप', ई-सिगरेट, इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस), हीट-नॉट-बर्न (एचएनबी) उपकरण और अन्य गर्म तंबाकू उत्पाद (एचटीपी) सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
उन्होंने कहा, ''किशोरों के फेफड़ों को 'वेप' से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों से बचाने की जरूरत है। जो भी किशोर 'वेपिंग' करते हैं, उन्हें तुरंत सुधार की आवश्यकता है। केवल स्वस्थ फेफड़ों से ही विकसित भारत की शुरुआत होगी।''
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के वरिष्ठ निदेशक डॉक्टर अंकुर बहल ने कहा कि वेपिंग को व्यस्कों में धूम्रपान की लत को छुड़ाने के विकल्प के तौर पर पेश किया गया था, लेकिन यह भी धूम्रपान जितना ही खतरनाक है।
डॉक्टर बहल ने कहा, ''वेपिंग उपकरणों को धूम्रपान की लत को 'स्टेपिंग डाउन' करने के लिए लाया गया था, लेकिन ये 'स्टेपिंग अप' की भूमिका निभा रहे हैं। वेपिंग भी धूम्रपान जितनी ही खतरनाक है और यह कैंसर के खतरे को चार गुना तक बढ़ा देती है। इसके जरिये तंबाकू का सेवन हृदय रोग के अलावा कई अन्य बीमारियों का कारक भी बनता है। ''
भाषा पारुल