तेलंगाना में बीआरएस और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग
प्रशांत नरेश
- 08 Jul 2025, 03:10 PM
- Updated: 03:10 PM
हैदराबाद, आठ जुलाई (भाषा) तेलंगाना में किसानों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से बहस के लिए विपक्ष के नेता के.टी. रामाराव के पार्टी समर्थकों के साथ प्रेस क्लब पहुंचने के साथ ही सत्तारूढ़ कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के बीच जुबानी जंग खुलकर सामने आ गयी।
राज्य के कल्याणकारी उपायों पर बहस के लिए रेवंत रेड्डी की चुनौती पर प्रतिक्रिया देते हुए केटीआर के नाम से लोकप्रिय रामा राव ने कहा था कि वह प्रेस क्लब में उनका सामना करने के लिए तैयार हैं।
केटीआर के नेतृत्व में बड़ी संख्या में बीआरएस नेता और कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल पर एकत्र हुए, जिसके कारण शहर की पुलिस को सुरक्षा बढ़ानी पड़ी।
रामाराव ने आरोप लगाया, “मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने एक बार नहीं बल्कि चार. पांच बार सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है और हमें बहस के लिए आमंत्रित किया है। हमने कई बार विधानसभा में ये मुद्दे उठाए हैं। लेकिन वे कभी भी उचित चर्चा की अनुमति नहीं देते हैं, और जब वे करते भी हैं, तो हमें बोलने का मौका नहीं दिया जाता है।”
उन्होंने कहा कि रेवंत रेड्डी ने बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव या केटीआर को चुनौती दी है कि वे इस बात पर चर्चा के लिए आएं कि कांग्रेस ने बीआरएस शासन की तुलना में किसानों के कल्याण के लिए क्या किया है।
उन्होंने कहा, “हमने चुनौती स्वीकार कर ली, लेकिन सरकार की ओर से कोई भी आगे नहीं आया।”
रामाराव ने दावा किया, “भले ही मुख्यमंत्री बहस में शामिल न हो पाएं, लेकिन हमें उम्मीद थी कि कोई जिम्मेदार प्रतिनिधि आएगा - चाहे वह उपमुख्यमंत्री हो, कृषि मंत्री हो या कोई और। लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि रेवंत रेड्डी केवल ‘रच्चा’ (शोर मचाना) में रुचि रखते हैं, चर्चा में नहीं।”
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष को किसानों के मुद्दों पर बोलने के लिए विधानसभा में पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से तेलंगाना में 600 किसान मर चुके हैं।
बीआरएस के किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए तैयार होने का दावा करते हुए रामा राव ने कहा कि मुख्यमंत्री को चंद्रशेखर राव से झूठे आरोप लगाने के लिए माफी मांगनी चाहिए कि पिछली सरकार के दौरान किसानों को नुकसान उठाना पड़ा।
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