बुजुर्ग प्रोफेसर दंपति की हत्या के जुर्म में एक व्यक्ति को मौत की सजा
योगेश नरेश
- 08 Jul 2025, 01:11 PM
- Updated: 01:11 PM
कोलकाता, आठ जुलाई (भाषा) कोलकाता की एक अदालत ने एक सेवानिवृत्त कॉलेज प्रोफेसर दंपति की हत्या के जुर्म में एक व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई है।
अदालत ने इस अपराध को 'दुर्लभतम में दुर्लभ' करार देते हुए कहा कि यह विश्वासघात और क्रूरता का घिनौना उदाहरण है।
कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर प्राण गोविंद दास और रेणुका दास की 15 जुलाई 2015 को उनके घर पर बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई थी। उनके चेहरे और सिर पर कई वार किए गए थे और उनके चेहरे विकृत कर दिए गए थे।
सियालदह सत्र न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने कहा कि अदालत को मृतकों की ओर से उकसावे का ऐसा कोई संकेत नहीं मिला, जिसके चलते उसने इस वारदात को अंजाम दिया हो।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने कहा कि संजय सेन नामक रिक्शा चालक को दंपति उन दिनों से जानते थे जब वह घूम घूम कर मछली बेचता था। दंपति उस पर पूरा भरोसा करते थे और रोज़मर्रा के कामों जैसे बैंक जाना, डॉक्टर के पास जाना और बाज़ार जाना आदि के लिए उसके रिक्शे में जाते थे।
वह उत्तर कोलकाता के चितपुर इलाके में एक आवासीय परिसर में स्थित उनके फ्लैट में अक्सर आता-जाता था।
न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा, "इस बुजुर्ग दंपती ने उस व्यक्ति पर भरोसा जताया, उसे अपने घर में आने दिया और रोजमर्रा के कामों में उसकी मदद ली...ये सब बातें उसके विश्वासघात, अपराध को और भी घिनौना बनाती हैं। उसे राहत देने का कोई आधार नहीं है।"
अदालत ने कहा कि सेन ने धीरे-धीरे उनका भरोसा जीता ताकि अंत में इसका फायदा उठा सके। इससे पता चलता है कि यह पूरी साजिश पहले से सोच-समझकर रची गई थी।
अभियोजन पक्ष ने बताया कि सेन ने चार घंटे से ज्यादा समय तक दंपति पर क्रूर हमला जारी रखा और फिर सोने के गहने और नकदी लेकर वहां से भाग गया।
अदालत ने पिछले सप्ताह दिए गए अपने फैसले में कहा कि यह दिखाता है कि आरोपी की बेरहमी और क्रूर इरादे को किसी भी व्यक्तिगत वजह से कमतर करके नहीं आंका जा सकता। दोनों मृतकों के चेहरे को बुरी तरह विकृत करना इस बात का सबूत है कि यह सिर्फ लूटपाट नहीं थी, बल्कि इसमें अत्यधिक क्रूरता और बर्बरता शामिल थी, जिसे किसी भी आर्थिक तंगी या अन्य कारणों से सही नहीं ठहराया जा सकता।
न्यायाधीश दास ने कहा कि ‘निचली अदालतों को यह समझना चाहिए कि इस अपराध की गंभीरता, इससे समाज में पैदा होने वाला गुस्सा और लोगों को चेतावनी देने की जरूरत...इन सबका एक ही निष्कर्ष निकलता है कि यह एक बहुत ही दुर्लभ और गंभीर मामला है।’
अदालत ने यह भी कहा कि न्याय, समाज के नियम और कानून के हिसाब से, संजय सेन के अपराध की गंभीरता ऐसी है कि उसे हल्की सजा जैसे आजीवन कारावास देना पूरी तरह अनुचित होगा।
सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि मृत्युदंड देना सिर्फ आरोपी को सजा देने के लिए नहीं, बल्कि समाज के हित में भी जरूरी है।
न्यायाधीश ने कहा, "ऐसा करके कानून विश्वास, करुणा और मानवीय गरिमा के मूल्यों की रक्षा करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे जघन्य अपराध कभी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।"
न्यायाधीश दास ने ही 9 अगस्त, 2024 को आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के लिए संजय रॉय को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
उन्होंने इस मामले में कहा कि आरोपी और पीड़ितों के बीच संबंधों की प्रकृति वास्तव में अपराध को कम करने के बजाय उसे बढ़ा देती है।
भाषा योगेश