प्रधानमंत्री का बहुआयामी व्यक्तित्व, वैश्विक मंच पर भारत के लिए अहम पूंजी: थरूर
हक हक मनीषा
- 23 Jun 2025, 04:09 PM
- Updated: 04:09 PM
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऊर्जा, उनका बहुआयामी व्यक्तित्व और संवाद की तत्परता वैश्विक मंच पर भारत के लिए एक ‘‘अहम पूंजी’’ बनी हुई है, लेकिन इसे अधिक सहयोग एवं समर्थन की जरूरत है।
उनकी यह टिप्पणी एक बार फिर कांग्रेस को असहज स्थिति में डाल सकती है तथा पार्टी नेतृत्व के साथ उनके संबंधों में दरार और गहरी हो सकती है।
प्रधानमंत्री के लिए थरूर की प्रशंसा ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस विदेश नीति को लेकर मोदी सरकार पर निरंतर हमले कर रही है और आरोप लगा रही है कि भारतीय कूटनीति चरमरा गई है और देश विश्व स्तर पर ‘‘अलग-थलग’’ पड़ गया है।
थरूर ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ के लिए लिखे एक लेख में कहा कि ‘‘ऑपरेशन सिंदूर’’ के बाद किया गया राजनयिक संपर्क राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संवाद का क्षण था।
उनका कहना है, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऊर्जा, उनका बहुआयामी व्यक्तित्व और संवाद की तत्परता वैश्विक मंच पर भारत के लिए एक अहम पूंजी बनी हुई है, लेकिन इसे अधिक समर्थन की आवश्यकता है।
पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सैन्य अभियान के बाद भारत के रुख से अवगत कराने के लिए अमेरिका और चार अन्य देशों में गए बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद राजनयिक संपर्क राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संवाद का क्षण था। इसने इस बात पुष्टि की है कि भारत एकजुट होने पर अपनी आवाज स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रख सकता है।’’
अपने लेख में, थरूर ने कहा कि 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से भारत की दृढ़ प्रतिक्रिया ने देश की विदेश नीति के लिए एक महत्वपूर्ण पक्ष प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘तत्काल सैन्य कार्रवाई निर्णायक थी, लेकिन उसके बाद का कूटनीतिक संपर्क वैश्विक धारणाओं को आकार देने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन को मजबूत करने में समान रूप से, यदि अधिक नहीं तो, महत्वपूर्ण था।"
थरूर ने कहा, "पश्चिमी गोलार्ध के पांच देशों - गुयाना, पनामा, कोलंबिया, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका में सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व करने से मुझे सार्वजनिक कूटनीति के इस गहन दौर से सीखे गए सबक पर विचार करने का एक अनूठा अवसर मिला।’’
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