वाम दलों ने ईरान पर अमेरिकी हमलों की निंदा की
शुभम रंजन
- 22 Jun 2025, 08:40 PM
- Updated: 08:40 PM
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) वाम दलों ने रविवार को ईरान के परमाणु स्थलों पर हुए अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि यह कदम ईरानी संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन है।
यहां जारी एक बयान में वामपंथी दलों ने कहा कि अमेरिकी कार्रवाई से वैश्विक तनाव बढ़ेगा, पश्चिम एशिया अस्थिर होगा और इसके गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे।
बयान में कहा गया, "पांच वामपंथी दल ईरान पर अमेरिका की बमबारी की कड़ी निंदा करते हैं। यह ईरानी संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन है और इससे वैश्विक तनाव बढ़ेगा, पश्चिम एशिया में अस्थिरता आएगी और इसके गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे।"
यह बयान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और फॉरवर्ड ब्लॉक द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया।
पांचों वाम दलों ने कहा कि अमेरिका और इजराइल यह दावा करके अपने हमलों को उचित ठहरा रहे हैं कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की कगार पर है, हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने 19 जून को कहा था कि उनके पास ईरान की ओर से परमाणु हथियार विकसित करने के किसी व्यवस्थित प्रयास का कोई सबूत नहीं है।
उन्होंने कहा, "अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी माना है कि उनके पास इस बात के निर्णायक सबूत नहीं हैं कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। इसके अलावा, ईरान परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षरकर्ता बना हुआ है।"
वाम दलों ने कहा कि इजराइल ने ईरान और अमेरिका के बीच किसी भी संभावित वार्ता को विफल करने के लिए 12 जून को ईरान पर हमला किया और अब अमेरिका भी इस आक्रामक कृत्य में इजराइल के साथ शामिल हो गया है, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को वार्ता के लिए दो सप्ताह का समय दिया था।
उन्होंने कहा, "इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अमेरिका-इजराइल धुरी को अपने स्वयं के खुफिया आकलन या किसी भी कूटनीतिक प्रक्रिया की कोई परवाह नहीं है और वह ईरान और पूरे पश्चिम एशियाई क्षेत्र पर युद्ध थोपने पर आमादा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि असली इरादा ईरान को नष्ट करना, पश्चिम एशिया पर साम्राज्यवादी आधिपत्य स्थापित करना और संसाधनों के वैश्विक प्रवाह को नियंत्रित करना है।"
उन्होंने कहा, "इस हमले का उद्देश्य सैन्य-औद्योगिक परिसर के हितों की पूर्ति करना तथा अंतरराष्ट्रीय पूंजी को दीर्घकालिक संकट से बाहर निकलने में सक्षम बनाना है।"
वाम दलों ने स्थिति की तुलना इराक पर अमेरिकी आक्रमण से की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह आक्रमण भी "इसी तरह के असत्यापित दावों पर आधारित था, जो बाद में झूठे साबित हुए।"
उन्होंने कहा, "यह विडम्बना है कि अमेरिका, जो एकमात्र ऐसा देश है जिसने कभी परमाणु हथियार का प्रयोग किया है - जबकि जापान द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में बातचीत के लिए तैयार था - अब परमाणु हथियारों के खतरे के बारे में बात कर रहा है!"
वाम दलों ने कहा कि अमेरिकी हमले से संघर्ष में भारी वृद्धि होने की पूरी आशंका है, जिसका वैश्विक शांति और आम लोगों की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा - विशेष रूप से भारत जैसे देशों पर जो तेल आयात और प्रवासी मजदूरों के अवसरों के लिए पश्चिम एशिया पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
उन्होंने कहा, "पहले से ही बोझ से दबे कामकाजी लोग युद्ध के आर्थिक दुष्परिणाम से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत सरकार को "तुरंत अपनी अमेरिका समर्थक, इजराइल समर्थक विदेश नीति का रुख त्याग देना चाहिए और युद्ध को रोकने के वैश्विक प्रयासों में शामिल होना चाहिए"।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव एम.ए. बेबी ने चेतावनी दी कि इसका असर वैश्विक स्तर पर होगा और इससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा।
बेबी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “हम ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। (अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड) ट्रंप ने इस हमले का आदेश अमेरिकी खुफिया जानकारी को नज़रअंदाज़ करते हुए दिया कि ईरान परमाणु हथियार बनाने का प्रयास नहीं कर रहा है।”
बेबी ने कहा, "यह इराक युद्ध के झूठ को दर्शाता है। उस समय डब्ल्यूएमडी (सामूहिक नरसंहार के हथियार) के बारे में झूठ बोला था और अब परमाणु हथियारों के बारे में झूठ बोला जा रहा है। इसका आर्थिक और राजनीतिक असर वैश्विक होगा, जिसमें भारत भी शामिल है।"
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने खुद को ऐसा देश साबित कर दिया है जो किसी अंतरराष्ट्रीय कानूनों व मानकों की परवाह नहीं करता है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि दुनिया के शांतिप्रिय लोगों को इस हमले की निंदा करनी चाहिए।
भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा, "अमेरिका ने अब ईरान पर सीधा हमला कर दिया है। इराक, लीबिया और सीरिया को तबाह करने के बाद, अमेरिका अब ईरान को नष्ट करना चाहता है और पूरे पश्चिम एशिया को अस्थिर तथा अपने अधीन करना चाहता है।"
उन्होंने कहा, “दुनिया के शांतिप्रिय लोगों को अमेरिकी आक्रामकता के इस कृत्य की निंदा करनी चाहिए। भारत को इस पूरी तरह से अन्यायपूर्ण युद्ध में अमेरिका-इज़राइल का समर्थन नहीं करना चाहिए और ईरान पर साम्राज्यवादी आक्रमण को तत्काल रोकने की मांग करनी चाहिए।"
भाषा
शुभम