भारत माता विवाद के कारण केरल में सड़कों पर प्रदर्शन
रंजन रंजन माधव
- 21 Jun 2025, 06:41 PM
- Updated: 06:41 PM
तिरुवनंतपुरम, 21 जून (भाषा) केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को लेकर भारत माता की तस्वीर पर उठे विवाद के कारण शनिवार को विरोध प्रदर्शन और तीखी बयानबाजी हुई। इससे पहले प्रदेश में सत्तारूढ़ माकपा के आधिकारिक मुखपत्र में राजभवन के खिलाफ एक कड़ा संपादकीय प्रकाशित किया गया।
दक्षिणी राज्य में यहां राजभवन में आधिकारिक कार्यक्रमों के दौरान ‘भारत माता की तस्वीर’ प्रदर्शित करने को लेकर राज्यपाल आर्लेकर और माकपा नेतृत्व वाले एलडीएफ सरकार के बीच तल्खी देखने को मिल रही है।
राज्य में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ‘देशाभिमानी’ एक कड़े शब्दों में लिखे गये संपादकीय में कहा गया है कि राजभवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कोई ‘‘शाखा’’ नहीं है।
राजभवन की ओर से जारी ताजा तस्वीरों के अनुसार, राज्यपाल ने शनिवार को यहां आयोजित योग दिवस समारोह के दौरान भारत माता की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।
वामपंथी पार्टी के ट्रेड यूनियन संगठन सीटू (सीआईटीयू) ने राजभवन की ओर विरोध मार्च निकाला और राज्यपाल पर आरोप लगाया कि वे राजभवन को आरएसएस का केंद्र बनाने तथा देश के संविधान का उल्लंघन करने की कोशिश कर रहे हैं।
छात्र संगठन एसएफआई (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) ने यहां केरल विश्वविद्यालय के संस्कृत कॉलेज के सामने एक बैनर लगाया, जिसमें लिखा था कि ‘‘राजभवन आरएसएस की संपत्ति नहीं है।’’
बैनर पर लिखा था, ‘‘हम एक बार फिर कुछ कहना चाहते हैं, महामहिम राज्यपाल... राजभवन आरएसएस की पुश्तैनी संपत्ति नहीं है।’’
कोझिकोड में भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा, भारतीय जनता युवा मोर्चा ने सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी के खिलाफ काले झंडे लहराए। मंत्री ने राजभवन में भारत माता की तस्वीर लगाए जाने के विरोध में हाल ही में एक कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।
हालांकि पुलिस ने संगठन के एक कार्यकर्ता को तुरंत हिरासत में ले लिया, लेकिन थोड़ी ही देर में पहुंचे एसएफआई कार्यकर्ताओं ने जिले के थाली इलाके में उसे धक्का दिया और मारपीट की।
इलाके में कुछ समय तक एसएफआई कार्यकर्ताओं, भाजपा और मोर्चा कार्यकर्ताओं के बीच सड़क पर झड़प होती रही।
बाद में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने राजभवन में हाल में आयोजित कार्यक्रम से मंत्री शिवनकुट्टी के बहिगर्मन के विरोध में उनका पुतला फूंका।
इस बीच, भाजपा कार्यकर्ताओं ने ‘भारत माता’ की तस्वीर पर विभिन्न जिला केंद्रों में पुष्पांजलि अर्पित की, ताकि वाम मोर्चा सरकार के इस रुख के विरोध में अपना प्रदर्शन दर्ज करा सकें। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भारत माता की उसी तरह की तस्वीर का इस्तेमाल किया, जैसी राजभवन में लगायी गयी थी।
तिरुवनंतपुरम में यह तस्वीर सचिवालय के सामने लगाई गई, जबकि विरोध कार्यक्रम पलक्कड़ के कोटा मैदान में आयोजित किया गया।
पलक्कड़ में विरोध कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में भाजपा के वरिष्ठ नेता एन. शिवराजन ने मांग की कि केसरिया ध्वज को देश का राष्ट्रीय ध्वज बनाया जाना चाहिए।
भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के पूर्व सदस्य शिवराजन ने मंत्री वी. शिवनकुट्टी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां भी कीं।
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने राजभवन के कार्यक्रमों में भारत माता की तस्वीर लगाए जाने को पूरी तरह उचित ठहराया, वहीं शिवनकुट्टी राज्यपाल आर्लेकर की इस परंपरा को लेकर आलोचना करते रहे।
कोच्चि में पत्रकारों से बात करते हुए सुरेश गोपी ने कहा कि राज्यपाल ने अपने अधिकारों का कानूनी रूप से उपयोग किया है और राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर अनावश्यक विवाद खड़ा कर किसी अन्य बात को छुपाने की कोशिश कर रही है।
कोच्चि में ही के. सुरेंद्रन ने कहा कि राज्य के मंत्रियों को यह अधिकार नहीं है कि वे यह तय करें कि राजभवन में केसरिया झंडा या भारत माता की तस्वीर नहीं लगाई जा सकती।
उन्होंने कहा कि एलडीएफ सरकार ने पहले भी योग दिवस मनाने का विरोध इसी तरह किया था, यह कहते हुए कि यह संघ परिवार का एजेंडा है, लेकिन अब वे इसे मना रहे हैं।
शिवनकुट्टी ने कोझिकोड में कहा कि उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए राजभवन के कार्यक्रम से बाहर निकल जाना उचित समझा।
एलडीएफ के सहयोगी केरल कांग्रेस (एम) के अध्यक्ष जोस के मणि ने भी राजभवन में भारत माता की तस्वीर लगाए जाने का कड़ा विरोध किया और इसे ‘‘असंवैधानिक’’ बताया।
‘देशाभिमानी’ के संपादकीय ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि वह राजभवन को आरएसएस की विचारधारा को प्रदर्शित और प्रचारित करने का स्थल बनाकर देश के संविधान को सार्वजनिक रूप से चुनौती दे रहे हैं।
संपादकीय में पूछा गया कि इस कार्य को संविधान के नियमों के स्पष्ट उल्लंघन के अलावा और क्या कहा जा सकता है।
इसमें कहा गया है, ‘‘राज्यपाल और उनके साथी यह समझें कि राजभवन आरएसएस की शाखा नहीं है। राज्य के धर्मनिरपेक्ष सोच वाले लोग आरएसएस द्वारा प्रस्तुत राष्ट्र की अवधारणा को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।’’
संपादकीय में कहा गया कि देश में वर्तमान में ऐसा माहौल बन गया है कि धर्म का राजनीति में हस्तक्षेप और राजनीति का धर्म में हस्तक्षेप स्वाभाविक माना जाने लगा है।
संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि इस कार्य का उद्देश्य आरएसएस द्वारा हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना को साकार करने के मिशन को तेज करना है।
माकपा की इस पत्रिका ने कहा कि इस खतरे को मजबूत धर्मनिरपेक्ष राजनीति को बरकरार रखकर रोका जाना चाहिए।
शुक्रवार को कांग्रेस और भाकपा ने कहा था कि केरल के राज्यपाल आर्लेकर स्वयंसेवक की तरह व्यवहार कर रहे हैं और राजभवन को आरएसएस का केंद्र बना रहे हैं। राजभवन आर्लेकर का सरकारी आवास है।
कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने भी भारत माता विवाद के संबंध में राज्यपाल द्वारा ‘‘संवैधानिक पद का दुरुपयोग’’ के कारण राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की।
वामपंथी छात्र संगठन कुछ समय से राजभवन के आधिकारिक कार्यक्रमों में भारत माता की तस्वीर और आरएसएस विचारकों की तस्वीरों के प्रदर्शन के खिलाफ सख्त विरोध कर रहे हैं।
भाषा रंजन रंजन