ईरान के विदेश मंत्री ने जिनेवा में शीर्ष यूरोपीय राजनयिकों के साथ बैठक की
प्रशांत माधव
- 20 Jun 2025, 10:23 PM
- Updated: 10:23 PM
जिनेवा, 20 जून (एपी) ईरान के विदेश मंत्री शुक्रवार को जिनेवा में शीर्ष यूरोपीय राजनयिकों के साथ अपने देश के परमाणु कार्यक्रम के बारे में चिंताओं पर केंद्रित संकट पर बातचीत कर रहे है। एक सप्ताह पहले लंबे समय से चल रहा विवाद इजराइल और ईरान के बीच युद्ध में बदल गया था।
विदेश मंत्री अब्बास अराघची फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के अपने समकक्षों तथा यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख के साथ बैठक के लिए शहर के एक होटल में पहुंचे।
संघर्ष की शुरुआत के बाद से यह पश्चिमी देशों और ईरानी अधिकारियों के बीच पहली आमने-सामने की बैठक है।
बैठक से पहले, अराघची ने कहा कि जब तक इजराइल ईरान पर हमले जारी रखेगा, तब तक उनके देश के पास अमेरिका के साथ चर्चा करने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन वह दूसरों के साथ बातचीत के लिए तैयार है, हालांकि समझौते के लिए नहीं। इस युद्ध में इजराइल ने तेहरान में ईरान के परमाणु और सैन्य स्थलों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए हैं।
ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि “अब अगले दो सप्ताह के भीतर कूटनीतिक समाधान प्राप्त करने का अवसर मौजूद है।” वह वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पश्चिमएशिया के दूत स्टीव विटकॉफ के साथ बैठक के बाद जिनेवा गए।
ईरानी सरकारी टेलीविजन पर शुक्रवार को प्रसारित एक साक्षात्कार में अराघची ने कहा कि “वर्तमान स्थिति में, जब यहूदी शासन के हमले जारी हैं, हम किसी के साथ बातचीत नहीं करना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारे पास अमेरिका के साथ चर्चा करने के लिए कुछ भी नहीं है, जो इन अपराधों में भागीदार है,” और तेहरान ने अमेरिकियों के साथ वार्ता को अस्वीकार कर दिया।
उन्होंने कहा, “जहां तक दूसरों का सवाल है, अगर वे बातचीत चाहते हैं, न कि समझौता, जिसका अभी कोई मतलब नहीं है, तो हमें इससे कोई समस्या नहीं है।” लेकिन उन्होंने कहा कि शुक्रवार की चर्चा “केवल परमाणु मुद्दे और क्षेत्रीय मामलों पर केंद्रित होगी” और ईरान किसी के साथ अपनी मिसाइलों पर बातचीत नहीं करेगा।
यूरोपीय राजनयिकों से मिलने से ठीक पहले, अराघची जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष संक्षिप्त रूप से पेश हुए। उन्होंने कहा कि इजराइल के “परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले गंभीर युद्ध अपराध हैं” और इस बात पर जोर दिया कि “हम अपनी क्षेत्रीय अखंडता, राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा की पूरी ताकत से रक्षा करने के हकदार और दृढ़ हैं।”
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