बिहार: मोदी ने आंबेडकर के ‘अपमान’ के मुद्दे पर लालू पर साधा निशाना
वैभव दिलीप
- 20 Jun 2025, 05:29 PM
- Updated: 05:29 PM
सिवान (बिहार), 20 जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद पर उनके जन्मदिन समारोह के दौरान बाबासाहेब आंबेडकर के कथित अपमान को लेकर तीखा हमला बोला।
मोदी ने हालांकि लालू प्रसाद का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके पैरों के पास आंबेडकर की तस्वीर रखे जाने की घटना का जिक्र किया, जिसके लिए राजद अध्यक्ष को भाजपा नीत राजग की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
बिहार के सिवान जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘आंबेडकर वंशवाद के खिलाफ थे। लेकिन उन्हें (राजद और उसके सहयोगी दलों को) यह बात पसंद नहीं है। इसलिए उन्होंने उनकी (आंबेडकर की) तस्वीर अपने पैरों के पास रख ली। रास्ते में मैंने बाबासाहेब के इस अपमान के लिए माफी की मांग करने वाले पोस्टर देखे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कोई माफी नहीं मांगी गई। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे दलितों का तिरस्कार करते हैं। जबकि मोदी, बाबासाहेब को अपने दिल में रखता है।’’
राजद के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में लालू प्रसाद के 78वें जन्मदिन के जश्न के दौरान उनके आवास पर ‘कैमरा एंगल’ के कारण विवाद पैदा हुआ।
पार्टी ने दावा किया है कि प्रसाद ने ‘चिकित्सकीय सलाह’ के कारण सोफे पर पैर रखा था, और एक समर्थक आंबेडकर की तस्वीर लेकर उनके पास खड़ा था।
राजद अध्यक्ष के छोटे बेटे और उनके उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव से जब पूछा गया कि क्या उनके पिता के लिए माफी मांगना उचित नहीं होगा, तो उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां आंबेडकर का कोई अपमान नहीं हुआ। और क्या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अब तक माफी मांगी है?’’
वह कुछ महीने पहले संसद में शाह द्वारा दिए गए भाषण का जिक्र कर रहे थे।
इस बीच, राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने प्रसाद को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें निर्धारित समय के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
राज्य में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री प्रसाद के पुतले जला रही है और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को ज्ञापन सौंप रही है।
प्रसाद के व्यवहार की केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे राष्ट्रीय नेताओं के अलावा दलित नेता चिराग पासवान जैसे भाजपा के सहयोगी दलों के नेताओं ने भी आलोचना की है।
भाषा वैभव