केदारनाथ से श्रद्धालुओं को ला रहा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, सभी सात लोगों की मौत
दीप्ति सुरभि
- 15 Jun 2025, 09:43 PM
- Updated: 09:43 PM
रुद्रप्रयाग, 15 जून (भाषा) उत्तराखंड में रविवार सुबह केदारनाथ से श्रद्धालुओं को लेकर आ रहे एक निजी कंपनी के हेलीकॉप्टर के गौरीकुंड के जंगलों में कम दृश्यता के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमें सवार पांच श्रद्धालुओं समेत सभी सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी जिसके बाद चार धामयात्रा मार्ग पर हेली सेवाओं को सोमवार तक के लिए बंद कर दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साइप्रस से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जानकारी ली। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री ने हादसे में मारे गए लोगों के प्रति गहरी संवेदना और शोक व्यक्त किया। उन्होंने राज्य सरकार को केंद्र की तरफ से हर संभव सहयोग का आवश्वासन दिया।
तीस अप्रैल को तीर्थयात्रा शुरू होने के बाद से चारधाम यात्रा मार्ग पर यह पांचवां हेलीकॉप्टर हादसा है और यह सबसे दुखद हवाई दुर्घटनाओं में से एक अहमदाबाद विमान दुर्घटना के केवल तीन दिन बाद हुआ है। अहमदाबाद से लंदन जाने वाला एअर इंडिया का एक विमान उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस हादसे में विमान में सवार 241 लोगों के अलावा कई अन्य लोग मारे गए थे।
आर्यन एविएशन लिमिटेड के दुर्घटनाग्रस्त बेल 407 हेलीकॉप्टर में मारे गए सात लोगों में दो वर्षीय बच्ची सहित पांच श्रद्धालु, बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का एक प्रतिनिधि और एक पायलट शामिल हैं। श्रद्धालु महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे, वहीं पायलट राजस्थान के जयपुर का निवासी था जबकि मंदिर समिति का प्रतिनिधि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ के रासी गांव का रहने वाला था।
नागर विमानन मंत्रालय ने कहा कि उसने चारधाम मार्ग पर आर्यन एविएशन का संचालन तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को निर्देश दिया है कि वह केदारनाथ घाटी में सभी हेलीकॉप्टर गतिविधियों की सक्रिय निगरानी करने के लिए उड़ान योग्यता, सुरक्षा और संचालन से संबंधित अधिकारियों की तत्काल तैनाती करे।
एक बयान में मंत्रालय ने कहा कि प्रारंभिक संकेतों से पता चलता है कि दुर्घटना का संभावित कारण नियंत्रित उड़ान-टकराव (सीएफआईटी) यानि पायलट के पूरे नियंत्रण में हेलीकॉप्टर या विमान के अनजाने में भूखंड, पानी या अन्य किसी बाधा से टकरा जाना हो सकता है क्योंकि खराब दृश्यता और बादल छाए होने के बावजूद हेलीकॉप्टर कथित तौर पर हवा में था।
बयान के अनुसार, हादसे की सही वजह का पता विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की विस्तृत जांच से ही चलेगा।
रुद्रप्रयाग के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि संभवत: खराब मौसम के कारण दृश्यता कम होने की वजह से केदारघाटी में गौरीकुंड और त्रिजुगीनारायण के बीच जंगल में यह हादसा हुआ।
स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए कई वीडियो में हेलीकॉप्टर से आग की लपटें भी उठती देखी गयीं।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर में पांच यात्री, एक बच्ची और चालक दल का एक सदस्य सवार था। हेलीकॉप्टर ने गुप्तकाशी से सुबह पांच बजकर 10 मिनट पर उड़ान भरी और सुबह पांच बजकर 18 मिनट पर श्री केदारनाथ जी हेलीपैड पर उतरा। हेलीकॉप्टर सुबह पांच बजकर बजकर 19 मिनट पर गुप्तकाशी के लिए फिर से रवाना हुआ और बताया जाता है कि सुबह साढ़े पांच बजे से पौने छह बजे के बीच हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।’’
हादसे का शिकार हुए लोगों में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का एक प्रतिनिधि विक्रम सिंह रावत (45) भी शामिल था।
हेलीकॉप्टर के पायलट राजवीर सिंह चौहान ने भारतीय सेना में 15 वर्षों से अधिक समय तक सेवा की थी और उन्हें विभिन्न भूभागों पर उड़ान मिशनों का व्यापक अनुभव था।
जयपुर में शास्त्री नगर के रहने वाले चौहान अक्टूबर 2024 से आर्यन एविएशन में बतौर पायलट काम कर रहे थे।
पायलट के अलावा, मरने वालों में महाराष्ट्र के यवतमाल के रहने वाले दंपति -राजकुमार जायसवाल (41), उनकी पत्नी श्रद्धा जायसवाल (35) और उनकी दो वर्षीय पुत्री काशी भी शामिल हैं। वानी के पूर्व विधायक विश्वास नांदेकर ने यवतमाल में संवाददाताओं को बताया कि जायसवाल एक ट्रांसपोर्ट व्यापारी थे।
हादसे में जान गंवाने वाले अन्य दो की पहचान उत्तर प्रदेश की रहने वाली विनोद देवी (66) और तुष्टि सिंह (19) के रूप में हुई है।
नागर विमानन मंत्रालय ने कहा कि ऐसी ही स्थितियों में उड़ान भरने वाले दो हेलीकॉप्टरों के पायलटों के लाइसेंस छह-छह महीने के लिए निलंबित कर दिए गये हैं।
अपने बयान में मंत्रालय ने कहा, ‘‘ट्रांसभारत एविएशन के दो हेलीकॉप्टर, वीटी-टीबीसी के साथ पायलट कैप्टन योगेश ग्रेवाल और वीटी-टीबीएफ के साथ पायलट कैप्टन जितेंद्र हरजाई समान रूप से अनुपयुक्त मौसम में उड़ान भरते पाए गए। इसलिए दानों पायलटों के लाइसेंस छह-छह महीने के लिए निलंबित कर दिए गए हैं।’’
हेलीकॉप्टर हादसे के बाद चारधामों के लिए हेली सेवा को दो दिन यानी सोमवार तक के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
घटना के बाद मुख्यमंत्री धामी ने उच्चाधिकारियों के साथ एक बैठक की तथा हेलीकॉप्टर हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने के अलावा हेली उड़ानों के बेहतर समन्वय के लिए ‘कमांड एवं कोऑर्डिनेशन सेंटर’ स्थापित करने के भी निर्देश दिए।
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सोमवार तक चार धाम के लिए हेली सेवा पूर्ण रूप से बंद रहेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘चार धाम में सेवा दे रहे सभी हेली ऑपरेटर एवं पायलटों के उच्च हिमालय क्षेत्रों में उड़ान अनुभवों की जांच होगी एवं सभी हेली ऑपरेटर के साथ बैठक के बाद ही हेली सेवा को शुरू किया जाएगा।’’
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के गृह सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित किए जाने के भी निर्देश दिए जिसमें डीजीसीए, यूसीएडीए (उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण), नागर विमानन विभाग, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में रहेंगे।
धामी ने कहा कि यह समिति जनसुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मानक प्रचालन (एसओपी) नियमावली का प्रारूप बनाएगी और सितंबर से पूर्व अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर हादसे के संबध में उच्चस्तरीय जांच के भी आदेश दिए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस भी स्तर पर लापरवाही बरती गई है, दोषियों का पता लगाकर कर उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। आमजन के जीवन की रक्षा करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है और किसी भी कीमत पर जिंदगियों के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि उच्च हिमालय क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर उड़ाने का दीर्घकालीन अनुभव रखने वाले पायलटों को ही प्रदेश में हेलीकॉप्टर उड़ाने की अनुमति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने हिमालयी क्षेत्रों में अधिक संख्या में मौसम पूर्वानुमान के अत्याधुनिक उपकरण लगाने के भी निर्देश दिए जिससे मौसम की और सटीक जानकारी प्राप्त की जा सके।
इस बीच, आर्यन एविएशन के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। रुद्रप्रयाग पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, आर्यन एविएशन के एकाउंटेबल मैनेजर कौशिक पाठक तथा मैनेजर विकास तोमर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 और वायुयान अधिनियम 134 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
रुद्रप्रयाग जिले के सोनप्रयाग थाने में दर्ज शिकायत में कहा गया है कि आरोपी कंपनी के मैनेजरों ने सुबह छह बजे से शुरू होने वाले अपने आवंटित फलाईंग स्लॉट से पहले ही उड़ान भरी तथा सुबह से ही आसमान में बादल और धुंध छाए होने के बावजूद उड़ान भरने से पहले मौसम की स्थिति की जांच नहीं की, जो डीजीसीए और यूसीएडीए की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लंघन है।
शिकायत में कहा गया है कि ऐसा करके आर्यन कंपनी और उसके प्रबंधकों ने अपने दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही बरती गयी जिसके कारण दुर्घटना हुई और सात लोगों की मृत्यु हो गयी।
उत्तराखंड में चारधाम मार्ग पर हेलीकॉप्टर हादसे या हेलीकॉप्टर को आपात स्थिति में उतारने की यह पांचवीं घटना है। इस साल तीस अप्रैल को चारधाम यात्रा शुरू हुई थी।
केदारनाथ जा रहे केस्ट्रल एविएशन के एक हेलीकॉप्टर को सात जून को उड़ान भरने के तत्काल बाद एक तकनीकी समस्या के कारण सड़क पर आपात स्थिति में उतरना पड़ा था। हांलांकि, घटना में केवल पायलट को ही चोटें आयीं और हेलीकॉप्टर में सवार पांचों श्रद्धालु सुरक्षित बच गए।
इस घटना से एक माह पहले आठ मई को उत्तरकाशी जिले के गंगनानी में गंगोत्री धाम जा रहा निजी कंपनी का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें पांच महिला श्रद्धालु समेत छह लोगों की मौत हो गयी थी जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हुआ था।
बारह मई को भी श्रद्धालुओं को लेकर बदरीनाथ से सिरसी लौट रहे एक हेलीकॉप्टर को खराब दृश्यता के कारण उखीमठ में एक स्कूल के मैदान में आपात स्थिति उतरना पड़ा था। हालांकि, एक घंटे बाद मौसम सुधरने पर हेलीकॉप्टर ने पुन: उड़ान भर ली थी।
सत्रह मई को एम्स ऋषिकेश की एक हेली एम्बुलेंस का पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था जिसके कारण वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हालांकि, इसमें सवार तीनों व्यक्ति-एक चिकित्सक, एक पायलट और एक मेडिकल स्टॉफ सदस्य सौभाग्यशाली रहे कि वे सुरक्षित बच गए।
इस बीच, कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई ने आरोप लगाया कि यात्रा शुरू होने के डेढ़ माह से भी कम समय में पांच हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं होना राज्य सरकार की ‘लचर और लापरवाह हवाई नियमावली’ है।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा, ‘‘यह साबित करता है कि राज्य सरकार का यात्रा मार्ग पर हेलीकॉप्टर चला रही कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। हेलीकॉप्टर संचालन के लिए कोई एसओपी नहीं है। पैसा कमाने के लिए हेली कंपनियां यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही हैं।’’
भाषा दीप्ति