बिहार अनुसूचित जाति आयोग ने आंबेडकर के कथित अनादर पर लालू प्रसाद को नोटिस दिया
संतोष नरेश
- 15 Jun 2025, 09:33 PM
- Updated: 09:33 PM
पटना, 15 जून (भाषा) बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने बाबा साहब भीम राव आंबेडकर का कथित तौर पर अनादर करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को नोटिस जारी किया है।
आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है और चेतावनी दी है कि ऐसा न करने पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष देवेंद्र कुमार ने कहा कि कथित घटना पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए लालू प्रसाद को नोटिस जारी किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘आयोग ने प्रसाद को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है और चेतावनी दी है कि ऐसा न करने पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है।’’
इस सप्ताह की शुरुआत में लालू प्रसाद के 78वें जन्मदिन समारोह के दौरान कथित तौर पर रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो के वायरल होने के बाद विवाद उत्पन्न हो गया।
इस वीडियो में बीमार नेता एक सोफे पर बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं और उनके पैर पास के सोफे पर हैं। फिर एक समर्थक डॉ. आंबेडकर की तस्वीर लेकर कमरे में प्रवेश करता है और प्रसाद का अभिवादन करने से पहले उसे उनके पैरों के पास रख देता है। इस कृत्य की राजनीतिक विरोधियों ने तीखी आलोचना की।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को राजद प्रमुख पर महापुरूष और दलित नेता का अपमान करने का आरोप लगाया।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने जवाबदेही की मांग करते हुए एक वीडियो चलाया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने रविवार को विरोध प्रदर्शन किया और यहां आयकर गोलंबर पर लालू प्रसाद का पुतला फूंका। नोटिस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव ने इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘दलितों के खिलाफ अत्याचार के कई मामले हैं, जिन्हें आयोग ने नजरअंदाज किया है। लेकिन चूंकि हम भाजपा का विरोध करते हैं, इसलिए हमें डराने-धमकाने की रणनीति अपनाई जा रही है।’’
उन्होंने आयोग की प्रक्रिया का मजाक उड़ाते हुए दावा किया कि नोटिस की प्रति अभी तक उन्हें आधिकारिक रूप से प्राप्त नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘नोटिस का जो मसौदा घूम रहा है, उसमें कई व्याकरण संबंधी त्रुटियां हैं। हमें यह भी पता चला है कि पत्र को सुधार के लिए दो बार वापस लिया गया है। आयोग द्वारा मसौदा तैयार करने और औपचारिक रूप से इसे भेजने के बाद हम उचित तरीके से जवाब देंगे।’’
यादव ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजद) सरकार पर भी निशाना साधा और उस पर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए राज्य आयोगों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘हाल ही में गठित आयोगों में जदयू सहित राजग के शीर्ष नेताओं के रिश्तेदारों को नियुक्त किया गया है। बिहार भर के कई सक्षम व्यक्तियों की अनदेखी की गई।’’
उन्होंने आगे दावा किया कि मुख्यमंत्री के करीबी सेवानिवृत्त नौकरशाहों की पत्नियों को इन आयोगों में शामिल किया गया है और ऐसे अधिकारियों के बच्चों ने कंसल्टेंसी फर्म स्थापित की हैं जो अब विभिन्न सरकारी विभागों के साथ काम कर रही हैं।
तेजस्वी ने कहा, ‘‘बिना लागलपेट के कहूं तो अचेतन मुख्यमंत्री और उनके राजग सहयोगियों ने बिहार में एक ‘जमाई आयोग’ बनाया है, जहां गठबंधन नेताओं के दामादों, रिश्तेदारों और बच्चों को पद दिए जा रहे हैं।’’
भाषा संतोष