पहिए का आविष्कार कैसे हुआ? कंप्यूटर सिमुलेशन के अनुसार- लगभग 6,000 साल पहले
(द कन्वरसेशन) अमित नेत्रपाल
- 14 Jun 2025, 04:28 PM
- Updated: 04:28 PM
(काई जेम्स, जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी)
अटलांटा, 14 जून (द कन्वरसेशन) कल्पना कीजिए कि आप 3900 ईसा पूर्व में दक्षिण-पूर्वी यूरोप में एक तांबे के खनिक हैं। दिन-प्रतिदिन आप खदान की तपती सुरंगों से तांबे का अयस्क निकालते हैं।
आप खनन जीवन की नीरसता से खुद को जोड़ चुके हैं। फिर एक दोपहर, आप एक साथी कर्मचारी को कुछ उल्लेखनीय काम करते हुए देखते हैं।
एक अजीबोगरीब दिखने वाले उपकरण के साथ, वह एक ही बार में अपने शरीर के वजन से तीन गुना अधिक वजन ले जाता है। जब वह दूसरा भार लाने के लिए खदान में वापस आता है, तो आपको अचानक एहसास होता है कि आपका चुना हुआ पेशा अब पहले से कहीं कम बोझिल और कहीं ज़्यादा फ़ायदेमंद होने वाला है।
आप यह नहीं जानते: आप कुछ ऐसा देख रहे हैं जो इतिहास की दिशा बदल देगा- न केवल आपके छोटे खनन समुदाय के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए।
पहिये के अथाह प्रभाव के बावजूद, कोई भी निश्चित नहीं है कि इसका आविष्कार किसने किया, या इसकी कल्पना सबसे पहले कब और कहां की गई। ऊपर वर्णित काल्पनिक परिदृश्य 2015 के एक सिद्धांत पर आधारित है कि कार्पेथियन पर्वतों में खनिकों - वर्तमान हंगरी में - ने तांबे के अयस्क के परिवहन के साधन के रूप में लगभग 6,000 साल पहले पहिये का आविष्कार किया था।
इस सिद्धांत का समर्थन इस क्षेत्र में काम कर रहे पुरातत्वविदों द्वारा 150 से अधिक लघुकृत वैगन की खोज से होता है। ये छोटे आकार के, चार पहियों वाले मॉडल मिट्टी से बनाए गए थे और उनकी बाहरी सतहों पर ऐसे डिजाइन उकेरे गए थे जो उस समय खनन समुदायों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली टोकरियों की याद दिलाती हैं।
बाद में कार्बन डेटिंग से पता चला कि ये गाड़ियां पहिएदार परिवहन के अब तक के सबसे प्रारंभिक ज्ञात चित्रण हैं।
यह सिद्धांत मेरे लिए भी एक विशेष रुचि का प्रश्न उठाता है, क्योंकि मैं एक एयरोस्पेस इंजीनियर हूं और इंजीनियरिंग डिजाइन के विज्ञान का अध्ययन करता हूं। एक अस्पष्ट, वैज्ञानिक रूप से अनुभवहीन खनन समाज ने पहिये की खोज कैसे की, जबकि प्राचीन मिस्र जैसी अत्यधिक उन्नत सभ्यताओं ने इसकी खोज नहीं की थी?
विवादास्पद विचार
लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि पहियों का विकास साधारण लकड़ी के रोलर से हुआ है। लेकिन हाल ही तक कोई भी यह नहीं बता पाया कि यह परिवर्तन कैसे या क्यों हुआ। इतना ही नहीं, 1960 के दशक की शुरुआत में, कुछ शोधकर्ताओं ने रोलर-टू-व्हील सिद्धांत के बारे में गंभीर संदेह व्यक्त करना शुरू कर दिया।
आखिरकार, रोलर के उपयोगी होने के लिए, उन्हें समतल, ठोस जमीन और ढलानों और तीखे मोड़ों से मुक्त मार्ग की आवश्यकता होती है।
इन सभी कारणों से, प्राचीन दुनिया में रोलर का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता था। संशयवादियों के अनुसार, रोलर बहुत दुर्लभ और बहुत अव्यावहारिक थे, इसलिए पहिये के विकास के लिए उन्हें शुरुआती बिंदु नहीं माना जा सकता था।
एक महत्वपूर्ण मोड़
रोलर से पहियों तक के बदलाव के लिए दो प्रमुख नवाचारों की आवश्यकता है। पहला है माल ढोने वाली गाड़ी में बदलाव।
गाड़ी के आधार पर अर्धवृत्ताकार सॉकेट लगे होने चाहिए, जो रोलर को अपनी जगह पर बनाए रखें। इस तरह, जब ऑपरेटर गाड़ी को खींचता है, तो रोलर भी उसके साथ खिंचते हैं।
यह नवाचार संभवतः खदान के वातावरण की सीमित प्रकृति से प्रेरित रहा होगा।
सॉकेट रोलर की खोज पहिये के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और दूसरे एवं सबसे महत्वपूर्ण नवाचार का मार्ग प्रशस्त किया।
(द कन्वरसेशन) अमित