विमान हादसे के शिकार लोगों के परिजनों के लिए अपने प्रियजनों के शव पाने का इंतजार कष्टदायी
पारुल सिम्मी
- 13 Jun 2025, 11:02 PM
- Updated: 11:02 PM
(प्रशांत रांगणेकर)
अहमदाबाद, 13 जून (भाषा) अहमदाबाद विमान हादसे के पीड़ितों के परिजनों के लिए अपने प्रियजनों को खोने के दर्द को स्वीकार करना आसान नहीं है। उस पर प्रियजनों के शव को पाने के लिए लंबा इंतजार करने की मजबूरी उनके लिए और कष्टदायी साबित हो रही है।
लंदन के गैटविक जा रहा एअर इंडिया का विमान बृहस्पतिवार दोपहर अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद एक आवासीय इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई थी।
हादसे को हुए 30 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन अब तक केवल छह पीड़ितों के शव शिनाख्त के बाद उनके परिवारों को सौंपे गए हैं।
विमान दुर्घटना की खबर सामने आते ही उसमें सवार लोगों के परिजन उनसे संपर्क करने की कोशिशों में जुट गए। फोन कॉल का जवाब न मिलने पर कई यात्रियों के परिजन उनकी खोज-खबर पाने की उम्मीद में अहमदाबाद के लिए निकल पड़े।
कई यात्रियों के परिजनों ने अपने खून के नमूने दिए, ताकि उनके डीएनए का मिलान पीड़ितों के डीएनए से कर उनकी शिनाख्त की जा सके।
विमान के चालक दल में शामिल रोशनी सोंघारे की रिश्तेदार पूजा सुखदरे ने कहा, “हमें 72 घंटे तक इंतजार करने के लिए कहा गया है, ताकि डीएनए का मिलान किया जा सके।”
सोंघारे का परिवार महाराष्ट्र के ठाणे जिले के डोंबिवली में रहता है। विमान हादसे के कुछ घंटों के भीतर परिवार मुंबई से अहमदाबाद पहुंच गया। सोंघारे के पिता को हल्की-सी उम्मीद थी कि उनकी बेटी इस हादसे में बच गई होगी।
सुखदरे ने कहा, “लेकिन जैसे ही उन्होंने देखा कि शव इतनी बुरी तरह से झुलस गए हैं, उन्हें इस कड़वी सच्चाई का एहसास हो गया। जब शवों को उठाया जा रहा था, तो हमने देखा कि उनमें से कई इतने भंगुर हो गए थे कि उन्हें छूते ही उनके कुछ हिस्से पाउडर में तब्दील हो गए।”
सुखदरे ने बताया, “सोंघारे के पिता ने बृहस्पतिवार रात करीब 10.30 बजे डीएनए जांच के लिए नमूना दे दिया। अब हम केवल जल्द से जल्द उसका शव प्राप्त करना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा कि प्राधिकारियों को कम से कम उनके डीएनए मिलान की स्थिति के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
हालांकि, सुखदरे ने प्रशासन पर काम के बोझ और दबाव को स्वीकार किया।
बीजे मेडिकल कॉलेज के डीएनए संग्रह केंद्र के अंदर अंकिता पटेल का परिवार भी धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहा था।
गुजरात के मेहसाणा जिले से परिवार बृहस्पतिवार सुबह अंकिता को छोड़ने अहमदाबाद हवाई अड्डे आया था। वे मेहसाणा तक का आधा रास्ता ही पार कर पाए थे कि उन्हें विमान दुर्घटना की खबर मिली।
अंकिता की भाभी गायत्री पटेल ने कहा, “अंकिता के भाई ने बृहस्पतिवार रात को डीएनए नमूने दिए। अब हम उसका शव मिलने का इंतजार कर रहे हैं।”
मुर्दाघर के बाहर इंतजार कर रहे कई लोगों का भी यही हाल है।
भीषण गर्मी के चलते लोगों की मुश्किलें और बढ़ गईं। शुक्रवार को अहमदाबाद में अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
कैलाश प्रताप ठाकुर (50) मुर्दाघर के बाहर इंतजार कर रहे लोगों में शामिल हैं। उनकी पत्नी सरलाबेन और दो साल की पोती आद्या दुर्घटना के बाद से लापता हैं। दुर्घटना के समय दोनों मेडिकल कॉलेज के छात्रावास के भोजन कक्ष में थीं।
ठाकुर ने अपनी पत्नी और पोती की तस्वीर दिखाते हुए कहा, “उनके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है।” उन्होंने डीएनए मिलान के लिए अपने नमूने भी दिए हैं। कहीं न कहीं उन्हें इस कड़वी सच्चाई का एहसास है, लेकिन उसे स्वीकार करना उनके लिए मुश्किल है।
मुर्दाघर के बाहर पाटनी परिवार भी इसी तरह इंतजार कर रहा है। आकाश पाटनी (15) बृहस्पतिवार को स्कूल से लौटा था और अपनी मां की चाय की दुकान पर चारपाई पर आराम कर रहा था, तभी यह हादसा हुआ। आकाश की रिश्तेदार मधुबेन पाटनी ने बताया कि हादसे में उसकी (आकाश की) मां भी झुलस गई है और उसकी हालत गंभीर है।
गुजरात स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पीड़ितों के डीएनए नमूनों का उनके परिजनों से मिलान होने में 72 घंटे या उससे अधिक समय लगेगा।
भाषा पारुल