फिर से मौका मिलने पर भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं: नायर
आनन्द
- 13 Jun 2025, 07:54 PM
- Updated: 07:54 PM
बेकेनहैम, 13 जून (भाषा) भारतीय क्रिकेट में दूसरी बार मौका मिलना बहुत दुर्लभ होता है और करुण नायर इस बात के लिए आभारी हैं कि उन्हें एक बार फिर से भारत की टेस्ट जर्सी पहनने का मौका मिल रहा है।
दायें हाथ का यह बल्लेबाज इंग्लैंड लायंस के खिलाफ अनौपचारिक टेस्ट में भारत ए के लिए दोहरा शतक जड़ने के बाद सीनियर टीम के साथ जुड़ गया है।
भारत इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला खेलेगा जिसका आगाज 20 जून में लीड्स में होगा।
नायर ने राष्ट्रीय टीम में शामिल होने के बाद ‘बीसीसीआई डॉट टीवी’से कहा, ‘‘ बेहद खास महसूस हो रहा है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ मैं फिर से मौका मिलने पर बहुत आभारी और भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। मैं इस अवसर को दोनों हाथों से लपकने के लिए तैयार हू।
टेस्ट में तिहरा शतक जड़ने वाले दूसरे भारतीय नायर ने आठ साल बाद भारतीय टीम में वापसी की है।
भारत ए टीम में शामिल खिलाड़ी जब सीनियर टीम के साथ जुड़े तो मुख्य कोच गौतम गंभीर ने नायर की वापसी को बेहद खास करार दिया।
उन्होंने ‘टीम हडल’ में कहा, ‘‘ वापसी करना कभी आसान नहीं होता। आपने जितने रन बनाए हैं, आपकी कभी हार न मानने वाली सोच पूरी टीम के लिए प्रेरणादायक है। स्वागत है करुण नायर।’’
नायर के लंबे समय के साथ लोकेश राहुल ने भी उनकी दृढ़ता की तारीफ की।
नायर के साथ अंडर-14 के दिनों से क्रिकेट खेलते आ रहे राहुल ने कहा, ‘‘ मैं उन्हें बहुत लंबे समय से जानता हूं।
राहुल ने नायर के काउंटी क्रिकेट में खेलने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने यहां इंग्लैंड में जो महीने क्रिकेट खेलते हुए बिताए, वह कितना कठिन और अकेलापन भरा समय था। उन सबके बाद भी भारतीय टीम में वापसी करना उनके लिए, उनके परिवार के लिए और उनके सफर को जानने वाले हमारे जैसे दोस्तों के लिए बेहद खास है।’’
राहुल ने भी नायर की वापसी को प्रेरणादायक करार देते हुए कहा, ‘‘ यह बहुत प्रेरणादायक है। उम्मीद है कि यहां काउंटी क्रिकेट से मिला अनुभव और सीख उन्हें टेस्ट मैचों में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद करेगा।’’
नायर के लिए फिर से भारतीय ड्रेसिंग रूम का हिस्सा बनना किसी सपने की तरह है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उस अहसास को खुद ही अनुभव करना होगा, मैदान पर जाकर खुद महसूस करना होगा। मुझे यकीन है कि बहुत सारी भावनाएं होंगी, जिन्हें मैं अभी शब्दों में बयां नहीं कर सकता। यह एक अवास्तविक जैसा एहसास होगा।’’
भाषा आनन्द