भारत-पाक संघर्ष महज पड़ोसियों के बीच टकराव नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई है: जयशंकर
शफीक सुरेश
- 11 Jun 2025, 07:40 PM
- Updated: 07:40 PM
(तस्वीरों के साथ)
ब्रसेल्स, 11 जून (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव महज दो पड़ोसियों के बीच संघर्ष नहीं था, बल्कि यह उस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई थी, जो अंततः पश्चिमी देशों को भी परेशान करेगा।
जयशंकर ने बुधवार को यूरोपीय समाचार वेबसाइट ‘यूरैक्टिव’ के साथ एक साक्षात्कार में यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार की भी वकालत की तथा इस बात पर बल दिया कि 1.4 अरब की आबादी वाला भारत, चीन की तुलना में कुशल श्रम और अधिक भरोसेमंद आर्थिक साझेदारी प्रदान करता है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लगभग एक महीने बाद यूरोप की यात्रा पर गए जयशंकर ने कहा, ‘‘मैं आपको एक बात याद दिलाना चाहता हूं कि ओसामा बिन लादेन नाम का एक आदमी था। वह पाकिस्तान के एक सैन्य छावनी वाले शहर में वर्षों तक सुरक्षित क्यों महसूस करता था?’’
वह भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए चार-दिवसीय संघर्ष को लेकर पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को परमाणु हथियार वाले दो पड़ोसियों के बीच प्रतिशोध के रूप में पेश करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि दुनिया समझे कि यह केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है। यह आतंकवाद के बारे में है, और यही आतंकवाद अंततः आपको (पश्चिमी देशों को) भी परेशान करेगा।’’
जब उनसे पूछा गया कि रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में भारत शामिल क्यों नहीं हुआ, तो जयशंकर ने कहा कि मतभेदों को युद्ध के जरिये नहीं सुलझाया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं मानते कि मतभेदों को युद्ध के जरिये सुलझाया जा सकता है, हम नहीं मानते कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान निकलेगा। यह तय करना हमारा काम नहीं है कि वह समाधान क्या होना चाहिए।’’
जयशंकर ने कहा कि भारत के केवल रूस के साथ ही नहीं बल्कि यूक्रेन के साथ भी मजबूत संबंध हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हर देश, स्वाभाविक रूप से, अपने अनुभव, इतिहास और हितों पर विचार करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की सबसे पुरानी शिकायत है कि स्वतंत्रता के कुछ ही महीनों बाद हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया गया, जब पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठियों को भेजा। और कौन से देश इसका सबसे अधिक समर्थन करते थे? पश्चिमी देश।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि वही देश- जो उस समय टालमटोल कर रहे थे या चुप थे- अब कहते हैं कि ‘आइए अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के बारे में सार्थक चर्चा करें’, तो मुझे लगता है कि उनसे अपने अतीत पर विचार करने के लिए कहना उचित है।’’
यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) से जुड़े एक सवाल पर, जयशंकर ने कहा कि भारत इसका विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन उसे ‘‘कुछ आपत्तियां’’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इसके कुछ हिस्सों के विरोध में हैं। सीबीएएम के बारे में हमारी कुछ आपत्तियां हैं और हम इस बारे में काफी खुलकर बात करते रहे हैं। यह विचार कि दुनिया का एक हिस्सा बाकी सभी के लिए मानक तय करेगा, कुछ ऐसा है जिसके हम खिलाफ हैं।’’
सीबीएएम भारत और चीन जैसे देशों से आयातित वस्तुओं के निर्माण के दौरान उत्सर्जित कार्बन के मद्देनजर यूरोपीय संघ द्वारा लगाया जाने वाला नियोजित कर है। इस कदम ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलनों सहित बहुपक्षीय मंचों पर बहस छेड़ दी है, क्योंकि गरीब देशों को डर है कि इस तरह के शुल्क आजीविका और आर्थिक विकास को नुकसान पहुचा सकते हैं।
अमेरिका-भारत संबंधों पर, जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य हर उस संबंध को प्रगाढ़ करना है जो हमारे हितों का पक्षधर है, और अमेरिका के साथ संबंध हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।’’
भाषा शफीक