मोदी सरकार के 11 साल में एथनॉल उत्पादन क्षमता चार गुना से ज्यादा हुई : अधिकारी
राजेश राजेश अजय
- 11 Jun 2025, 06:36 PM
- Updated: 06:36 PM
अहमदाबाद, 11 जून (भाषा) अनुकूल नीतिगत पहल की मदद से नरेन्द्र मोदी सरकार के पिछले 11 वर्षों में भारत की एथनॉल उत्पादन क्षमता चार गुना से अधिक होकर 1,810 करोड़ लीटर सालाना हो गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
बढ़ी हुई स्थापित उत्पादन क्षमता के साथ, पेट्रोल के साथ एथनॉल का मिश्रण वर्ष 2013 के 1.53 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 19 प्रतिशत हो गया है, जिससे विदेशी मुद्रा में भारी बचत यानी 1.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है। साथ ही इससे गन्ना एवं खाद्यान्न किसानों को लाभ हुआ है।
केंद्र सरकार में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2013 तक देश में एथनॉल डिस्टिलेशन क्षमता केवल 421 करोड़ लीटर थी।
अधिकारी ने कहा कि विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए ब्याज सब्सिडी सहित सरकार द्वारा नीतिगत बदलावों की बदौलत देश में एथनॉल उत्पादन क्षमता 1,810 करोड़ लीटर तक पहुंच गई है।
अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2013 तक ओएमसी (पेट्रोलियम विपणन कंपनियों) को एथनॉल की आपूर्ति केवल 38 करोड़ लीटर थी, जबकि नवंबर से अक्टूबर तक चलने वाले - एथनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में मिश्रण स्तर 1.53 प्रतिशत था।
अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में अधिकारी ने कहा, ‘‘ईंधन ग्रेड एथनॉल का उत्पादन और ओएमसी को इसकी आपूर्ति 2013-14 से 2023-24 तक 18 गुना से अधिक बढ़ गई है।’’
केंद्र की ब्याज सब्सिडी नीति की मदद से गुजरात में कई एथनॉल संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
ईएसवाई 2023-24 में, ओएमसी द्वारा लगभग 707 करोड़ लीटर एथनॉल मिश्रित किया गया है, जिससे 14.60 प्रतिशत मिश्रण प्राप्त हुआ है।
अधिकारी ने कहा कि वर्तमान 2024-25 ईएसवाई में 25 मई तक, 18.74 प्रतिशत मिश्रण प्राप्त करके लगभग 548 करोड़ लीटर एथनॉल मिश्रित किया गया है।
पिछले 11 वर्षों के दौरान, अनाज आधारित भट्टियों सहित चीनी मिलों/भट्टियों द्वारा उत्पन्न कुल राजस्व का लगभग दो लाख करोड़ रुपये रहा है, जिसमें से 1.22 लाख करोड़ रुपये केवल गन्ना आधारित भट्टियों द्वारा उत्पन्न राजस्व है।
पेट्रोल के साथ मिश्रित एथनॉल (ईबीपी) कार्यक्रम कच्चे तेल पर आयात निर्भरता को कम करने, विदेशी मुद्रा का संरक्षण करने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था।
केंद्र सरकार इस कार्यक्रम को पूरे देश में लागू कर रही है, जिसमें पेट्रोलियम विपणन कंपनियां एथनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल बेचती हैं।
ईबीपी कार्यक्रम के तहत सरकार ने वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य तय किया है। वर्ष 2025-26 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, मिश्रण और अन्य उपयोगों के लिए एथनॉल की अनुमानित आवश्यकता लगभग 1,350 करोड़ लीटर है।
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 गन्ना शीरा, चुकंदर, मीठी ज्वार जैसी चीनी युक्त सामग्री, मक्का, कसावा जैसी स्टार्च युक्त सामग्री, गेहूं, टूटे चावल, सड़े हुए आलू (मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त) जैसे खराब खाद्यान्नों से एथनॉल के उत्पादन की अनुमति देती है।
इसके अलावा, नीति राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (एनबीसीसी) की मंजूरी से ईबीपी कार्यक्रम के तहत एथनॉल के उत्पादन के लिए अधिशेष खाद्यान्नों के उपयोग की भी अनुमति देती है।
नवंबर, 2020 में एनबीसीसी ने एफसीआई के पास उपलब्ध चावल से और ईबीपी कार्यक्रम के तहत पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए मक्का से एथनॉल के उत्पादन की अनुमति दी।
भाषा राजेश राजेश