दिल्ली: बटला हाउस में तोड़फोड़ के मामले में आप विधायक की याचिका में राहत देने से अदालत का इनकार
सुरेश नरेश
- 11 Jun 2025, 06:21 PM
- Updated: 06:21 PM
नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के बटला हाउस क्षेत्र में अनधिकृत ढांचों को ढहाने के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्ला खान की जनहित याचिका पर कोई राहत देने से बुधवार को इनकार कर दिया।
क्षेत्र में अनधिकृत ढांचे को बुधवार को ढहाया जाना था।
न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया और न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने कहा कि इस तरह की जनहित याचिका में संरक्षण का सामान्य आदेश पारित करने से व्यक्तिगत वादियों के मामले को जोखिम में डालने की संभावना है।
याचिकाकर्ता के वकील ने उच्च न्यायालय का मिजाज भांपते हुए जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।
पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी है, ताकि जनहितैषी याचिकाकर्ता बटला हाउस क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को तीन कार्य दिवसों के भीतर उचित मंच पर उचित कार्यवाही के उनके अधिकार के बारे में सूचित कर सके। याचिका का निपटारा किया जाता है।’’
पीठ ने कहा कि कुछ पीड़ित व्यक्तियों ने कानूनी उपायों का लाभ उठाया है और कुछ को राहत भी मिली है।
आप विधायक खान का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि विचाराधीन भूमि का सीमांकन शीर्ष अदालत के आदेश के अनुरूप नहीं किया गया।
उच्चतम न्यायालय ने सात मई को ‘‘दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को खसरा संख्या 279 में अनधिकृत ढांचों को ध्वस्त करने’’ का आदेश दिया था।
यह भूमि ओखला गांव में मुरादी रोड के किनारे लगभग 2.8 बीघा या 0.702 हेक्टेयर होने का अनुमान है।
खुर्शीद ने कहा कि अधिकारी निर्दोष व्यक्तियों की संपत्ति को भी ध्वस्त करने का इरादा रखते हैं।
उन्होंने कहा कि डीडीए ने ‘कारण बताओ नोटिस’ की आड़ में केवल एक सामान्य नोटिस जारी किया है, जिसे कई परिसरों के बाहर चस्पा कर दिया गया है, जो खसरा संख्या 279 में आते ही नहीं हैं, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने संबंधित खसरा के लिए ही आदेश पारित किया था।’’
डीडीए की ओर से पेश अधिवक्ता शोभना तकियार ने दलील दी कि शीर्ष अदालत के विशिष्ट निर्देश के कारण जनहित याचिका विचारणीय नहीं है, क्योंकि न्यायालय ने केवल पीड़ितों को उचित कानूनी उपाय अपनाने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि डीडीए के नोटिस सामान्य नहीं थे, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में थे, जिसमें जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था।
एकल न्यायाधीश ने इससे पहले क्षेत्र के कुछ निवासियों की याचिका पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था और कहा था कि चार जून को बटला हाउस क्षेत्र में इसी तरह की संपत्ति के संबंध में राहत दी गई थी।
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद क्षेत्र में कथित अवैध संपत्तियों को ढहाये जाने के नोटिस चस्पा किये गये थे।
भाषा सुरेश