वीआईपी और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए उच्च तकनीक सुरक्षा और रोबोटिक निगरानी पर विचार
सलीम जितेंद्र
- 08 Jun 2025, 05:38 PM
- Updated: 05:38 PM
(किशोर द्विवेदी)
लखनऊ, आठ जून (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार विधानभवन समेत प्रमुख प्रतिष्ठानों और अति विशिष्ट लोगों (वीआईपी) को रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (सीबीआरएन) खतरों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्नत तकनीक खरीदने की योजना बना रही है।
प्रदेश सरकार संसद के सुरक्षा प्रोटोकॉल से सबक लेते हुए बहु-स्तरीय सुरक्षा तंत्र तैयार करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और ‘इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ (ईसीआईएल) जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है।
इस सिलसिले में जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि डीआरडीओ, ईसीआईएल, राज्य पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों और राज्य व राष्ट्रीय आपदा मोचन प्राधिकरणों के साथ बातचीत की जा रही है।
इस योजना में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की भी अहम भूमिका है।
एक अधिकारी ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “इस प्रणाली का उपयोग वीआईपी और वीवीआईपी सुरक्षा के साथ-साथ राज्य भर में विभिन्न स्थलों पर उच्च स्तरीय अधिकारियों व मंत्रियों और कार्यक्रमों के दौरान किया जाएगा।”
उन्होंने बताया, “यह अमेरिका या फ्रांस जैसे देशों की तकनीक पर आधारित होगा।”
प्रस्तावित सीबीआरएन प्रणाली खासकर पाकिस्तान के साथ हालिया तनावों के मद्देनजर आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
यह पहल उत्तर प्रदेश विधान भवन परिसर की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कदम पर भी आधारित है।
इस साल की शुरुआत में विधायकों, विधान परिषद के सदस्यों और अन्य आगंतुकों को जारी किये जाने वाले वाहन स्टिकर पास में छेड़छाड़ का मामला सामने आने पर उन स्टिकर को ‘आरएफआईडी टैग’ से बदल दिया गया था।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पांच मार्च को एक सत्र के दौरान सुरक्षा चिंताओं को उजागर करते हुए कहा था, “हमारे संज्ञान में आया है कि विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी किए गए पास के साथ छेड़छाड़ करके नकली वाहन पास बनाए जा रहे हैं। यह सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय है और मामले को जांच के लिए भेज दिया गया है।”
सीबीआरएन सुरक्षा प्रणाली के तहत विषाणु व विषाक्त पदार्थ जैसे खतरों का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए कई तकनीकों को शामिल किया जाएगा।
शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, एक ‘सेटअप’ की लागत 10 करोड़ रुपये तक हो सकती है।
राज्य सरकार साथ ही साथ उन्नत रोबोटिक निगरानी उपकरणों को खरीदने की भी योजना बना रही है, जो अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की हाल ही में ताजमहल की यात्रा के दौरान किये गये सुरक्षा प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान से प्रेरित है।
फ्रांसीसी तकनीक पर आधारित ये रोबोट दिन-रात निगरानी की क्षमता प्रदान करेंगे और इन्हें विधान भवन परिसर, हवाई अड्डों या प्रमुख सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है।
हर रोबोट की कीमत लगभग 80 लाख रुपये है और इसे मानव जीवन को खतरे में डाले बिना दुर्गम और खतरनाक क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए तैयार किया गया है।
यह पहियेदार उपकरण 90 मीटर तक की रेंज के साथ विस्फोटकों को पकड़ने के लिए वाहनों को स्कैन कर सकते हैं। यहां तक कि ये सीढ़ियों, उबड़-खाबड़ इलाकों और तंग जगहों को भी पार करने में सक्षम हैं।
अधिकारी ने बताया, “युद्ध अब गुजरे जमाने की बात हो गए हैं। हमें भविष्य के लिए तैयार रहना होगा।”
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर इस प्रणाली को लागू किया जाता है तो उत्तर प्रदेश सीबीआरएन और विस्फोट की गतिविधियों के खतरों के खिलाफ संसद की तर्ज पर एकीकृत सुरक्षा मॉडल अपनाने वाला पहला राज्य बन जाएगा।
भाषा सलीम