कोलकाता में साधु-संतों ने शाह से मुलाकात की, बंगाल में हिंदुओं पर ‘अत्याचार’ और घुसपैठ पर चिंता जताई
देवेंद्र सुभाष
- 01 Jun 2025, 11:06 PM
- Updated: 11:06 PM
कोलकाता, एक जून (भाषा) विभिन्न संगठनों के साधु-संतों ने रविवार को यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में हिंदुओं पर कथित अत्याचार तथा बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ को लेकर चिंता जताई।
स्वामी विवेकानंद के पैतृक आवास पर हुई बैठक के दौरान, साधु-संतों ने दावा किया कि शाह ने हिंदू धार्मिक नेताओं से एकजुट होने और मानवता से संबंधित व्यापक मुद्दों को हल करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के दौरान शाह ने स्वामी विवेकानंद को पुष्पांजलि अर्पित की।
पद्म पुरस्कार से सम्मानित कार्तिक महाराज ने कहा कि साधु-संतों ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित करते हुए हिंदुओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के मुद्दे को उठाया।
उन्होंने कहा कि शाह राजनीतिक चर्चा के लिए नहीं, आशीर्वाद लेने आए हैं।
अंतरराष्ट्रीय वेदांत सोसाइटी की संयुक्त महासचिव तेजमयी मां ने कहा, ‘‘चर्चा का मुख्य विषय यह था कि सामूहिक प्रयास के लिए क्या आवश्यक है। प्रतिभागियों ने एक इकाई के रूप में मिलकर काम करने के महत्व पर जोर देते हुए आम सहमति बनाई। मिलकर काम करना साझा भावना है। इस एकीकृत दृष्टिकोण का उद्देश्य आम लोगों को लाभ पहुंचाना है, विशेष रूप से यह पता लगाना कि लोगों के कल्याण के लिए दैनिक जीवन में आध्यात्मिकता को कैसे लागू किया जा सकता है।’’
न्यू बैरकपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय वेदांत सोसाइटी की संयोजक वेदप्रणा माता ने कहा, ‘‘चर्चा का मुख्य विषय सनातन धर्म था। कुछ वक्ताओं ने चिंता जताई कि पश्चिमी देश वर्तमान में भारत की तुलना में सनातन मूल्यों को अधिक सक्रियता से अपना रहे हैं और आगे बढ़ा रहे हैं। इन मूल्यों को अपने देश में संरक्षित और मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के महत्व को भी रेखांकित किया गया, साथ ही इस साझा विश्वास पर भी जोर दिया गया कि सभी धर्मों का सार मानवता में निहित है।
बैठक में मौजूद एक साधु ने दावा किया, ‘‘शाह ने साधु-संतों से समाज में उनकी इस भूमिका पर विचार करने को कहा है कि क्या इसे कीर्तन और पूजा-अर्चना जैसी आध्यात्मिक परंपराओं तक सीमित रहना चाहिए या ज्वलंत मुद्दों पर भी ध्यान देना चाहिए।’’
भाषा देवेंद्र