प्रियंका ने विजयन से वायनाड में भूस्खलन पीड़ितों के लिए राहत कार्य में तेजी लाने का आग्रह किया
आशीष सुरेश
- 21 May 2025, 08:50 PM
- Updated: 08:50 PM
(फाइल फोटो के साथ)
वायनाड (केरल), 21 मई (भाषा) वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा है, जिसमें उनके निर्वाचन क्षेत्र के चूरलमाला और मुंडक्कई में भूस्खलन के पीड़ितों के लिए राहत उपायों में देरी को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया गया है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने लगभग दस महीने पहले हुई त्रासदी के बाद घोषित सरकारी सहायता के धीमे कार्यान्वयन को लेकर पत्र में गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने प्रभावित परिवारों के सामने आ रही कठिनाइयों पर प्रकाश डाला, जिनमें से कई ने अपने घर और आजीविका खो दी है और अब वे राज्य के सहयोग पर निर्भर हैं।
उन्होंने दो परिवार के सदस्यों के लिए 300 रुपये का दैनिक भत्ता और प्रति परिवार 6,000 रुपये की मासिक किराया सहायता देने में बार-बार देरी का भी मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि इन देरी के कारण पीड़ितों में असंतोष बढ़ रहा है और कुछ लोग वित्तीय तनाव के कारण प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रियंका ने यह भी कहा कि पुनर्वास के लिए लाभार्थियों की अंतिम सूची अभी तक प्रकाशित नहीं की गई है, जिससे कई परिवार अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस दुर्भाग्यपूर्ण देरी ने उन लोगों को काफी चिंता में डाल दिया है, जिन्होंने इस त्रासदी में अपने घर खो दिए हैं।’’
पत्र में उन पीड़ितों के लिए ऋण माफी योजना न होने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है, जो अपनी आय का साधन खोने के बाद कर्ज से जूझ रहे हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और संकट में फंसे लोगों को वित्तीय राहत प्रदान करने का आग्रह किया।
प्रियंका के पत्र के साथ विधायक टी. सिद्दीकी और मेप्पाडी ग्राम पंचायत अध्यक्ष के. बाबू के ज्ञापन भी संलग्न हैं। दोनों ने स्थानीय समुदाय की ओर से ऐसी ही चिंताएं व्यक्त की हैं।
वायनाड की सांसद ने सरकार से तत्काल कदम उठाने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे उनकी पीड़ा और बढ़ जाए।’’ उन्होंने याद दिलाया कि केरल और देश के लोग संकट के दौरान पीड़ितों के साथ खड़े थे।
उन्होंने पत्र के अंत में मुख्यमंत्री से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि प्रभावित परिवारों की आवाज सुनी जाए और राहत देने का जो वादा किया गया था उसे पूरा किया जाए।
भाषा आशीष