मुंबई पर भारी निर्भरता महाराष्ट्र के विकास के लिए चुनौतियां : रिपोर्ट
आशीष मनीषा
- 21 May 2025, 03:32 PM
- Updated: 03:32 PM
मुंबई, 21 मई (भाषा) अगले पांच वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के महाराष्ट्र के लक्ष्य को क्षेत्रीय रूप से विषम विकास पैटर्न और मुंबई पर भारी निर्भरता के कारण प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
इस महीने 16वें वित्त आयोग को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कम कृषि उत्पादकता, तेजी से हो रहा शहरीकरण, अपर्याप्त स्वास्थ्य और शिक्षा ढांचा, जनसांख्यिकीय परिवर्तन एवं जलवायु परिवर्तन को आर्थिक विकास में बाधा बताया गया है।
वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, कोंकण डिवीजन राज्य के सकल राज्य मूल्य वर्धन (जीएसवीए) में लगभग 39 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें मुंबई का हिस्सा लगभग 20 प्रतिशत है। जीएसवीए किसी राज्य के कुल आर्थिक उत्पादन का एक माप है।
रिपोर्ट के अनुसार राज्य के जीएसवीए में सबसे कम योगदान अमरावती डिवीजन का है, जिसकी हिस्सेदारी 5.8 प्रतिशत है, उसके बाद नागपुर डिवीजन (9.3 प्रतिशत) का स्थान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के बावजूद, प्रति व्यक्ति जिला आय (वर्तमान मूल्यों पर) असमानता दर्शाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, केवल सात जिलों में प्रति व्यक्ति आय राज्य के औसत 2,78,681 रुपये से अधिक है। 27 जिलों में यह औसत से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र के 12 जिलों में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के बराबर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्रीय रूप से विषम विकास पैटर्न और मुंबई पर भारी निर्भरता के कारण राज्य एक विशिष्ट स्थिति का सामना कर रहा है, तथा राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का 53 प्रतिशत कार्यबल कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है, जो जीएसडीपी में 13 प्रतिशत का योगदान देता है। इसने रोजगार से संबंधित गंभीर मुद्दों को जन्म दिया है। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी भी अर्थव्यवस्था में कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती आर्थिक विकास और रोजगार परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा करती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में लगभग 75 प्रतिशत कृषि भूमि वर्षा पर निर्भर है, जो मानसून की अनिश्चितता से प्रभावित होती है। इसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादकता कम होती है, साथ ही जलवायु परिवर्तन ने इस चुनौती को और भी बदतर बना दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र में है और यह तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन शहरी स्थानीय निकायों के पास अपर्याप्त संसाधन होने के कारण शहर के बुनियादी ढांचे में निवेश का स्तर कम हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार परभणी, नंदुरबार और गढ़चिरौली जैसे जिले अपर्याप्त स्वास्थ्य ढांचे से प्रभावित हैं। कुछ जिलों में बाल लिंग अनुपात चिंताजनक है, साथ ही कुपोषण से महिलाओं सहित बड़ी आबादी प्रभावित है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हम 16वें वित्त आयोग से केंद्रीय निधियों के स्थानांतरण में बड़ी हिस्सेदारी के रूप में सहयोग चाहते हैं, जिसमें राज्य को आकांक्षापूर्ण आर्थिक विकास दर हासिल करने में मदद के लिए अंतरण और अनुदान दोनों शामिल हैं।’’
भाषा आशीष