भारत-बांग्लादेश मैत्री सेतु के खुलने की उम्मीद है: चौधरी
देवेंद्र नरेश
- 21 May 2025, 02:34 PM
- Updated: 02:34 PM
अगरतला, 21 मई (भाषा) त्रिपुरा विधानसभा में विपक्ष के नेता जितेंद्र चौधरी ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और बांग्लादेश को जोड़ने वाली फेनी नदी पर मैत्री सेतु को चालू किया जाएगा।
दक्षिण त्रिपुरा के सबरूम को बांग्लादेश के रामगढ़ से जोड़ने वाली 133 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का उद्घाटन मार्च, 2021 में किया गया था, लेकिन अभी तक इसका संचालन संभव नहीं हो पाया है। लगभग 1.9 किलोमीटर लंबा यह पुल चटगांव बंदरगाह से 72 किलोमीटर दूर स्थित है।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति के कारण उन्हें इस मामले पर दोनों देशों के बीच बातचीत की कोई संभावना नहीं दिखती।
उन्होंने मंगलवार को सबरूम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘पड़ोसी देश की मौजूदा स्थिति पुल को चालू करने के लिए नुकसानदायक हो सकती है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि भविष्य में इसे खोल दिया जाएगा। लेकिन फिलहाल, मुझे इस मामले पर दोनों देशों के बीच बातचीत की कोई संभावना नहीं दिखती।’’
माकपा नेता ने इस मामले में भाजपा के राज्य नेतृत्व पर उदासीन रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने दावा किया कि भाजपा का राज्य नेतृत्व, केंद्र को इस पुल के महत्व का एहसास कराने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि इस पुल के जरिये त्रिपुरा के माध्यम से दोनों देशों के बीच व्यापार और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए वाममोर्चा की पिछली सरकार ने लोगों और माल की आवाजाही के लिए पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि, भाजपा के राज्य नेतृत्व के उदासीन रवैये के कारण इसे अभी तक चालू नहीं किया जा सका है।’’
सबरूम विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले चौधरी ने कहा कि जब वह सांसद थे तो उन्होंने रामगढ़ का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि हालांकि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पुल के पक्ष में थीं, लेकिन बीएनपी पुल के माध्यम से भारत को बांग्लादेश तक पहुंच देने के खिलाफ थी।
बांग्लादेशी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध के बारे में माकपा नेता ने कहा कि केंद्र ने संभवतः बांग्लादेश में ‘‘भारत विरोधी भावनाओं’’ के कारण यह निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पूर्वी सीमा पर भी तनाव है। बांग्लादेश में भी भारत विरोधी भावना है। मेरा अनुमान है कि बांग्लादेश से आयात पर प्रतिबंध एक अस्थायी कदम है।’’
भाषा
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