अदालत ने ग्वालियर निगम आयुक्त सहित प्रतिनियुक्ति पर आए 61 अधिकारियों की नियुक्ति को अवैध माना
सं ब्रजेन्द्र खारी
- 20 May 2025, 10:28 PM
- Updated: 10:28 PM
ग्वालियर, 20 मई (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने ग्वालियर नगर निगम के आयुक्त संघ प्रिय सहित उन 61 अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध ठहराया है जो प्रतिनियुक्ति पर अन्य विभागों से यहां आए हैं।
उच्च न्यायालय ने धारा-54 का उल्लेख करते हुए इन नियुक्तियों पर सवाल उठाए और अधिकारियों को उनके मूल विभाग में भेजने के आदेश दिए हैं।
डॉ. अनुराधा गुप्ता की एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने यह आदेश दिए हैं।
आदेश में कहा गया है कि नगर निगम आयुक्त पद के लिए सरकार को धारा-54 के तहत प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश जारी करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
डॉ. अनुराधा गुप्ता ने रिट याचिका में नगर निगम ग्वालियर में स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनुज शर्मा को नियुक्त करने पर सवाल उठाए थे।
याचिका में कहा गया था कि डॉ. शर्मा पशु चिकित्सक हैं जबकि स्वास्थ्य अधिकारी के लिए एमबीबीएस की डिग्री होनी चाहिए।
इसके बाद उच्च न्यायालय ने डॉ. शर्मा का स्थानांतरण करने के लिए कहा था, साथ ही अदालत ने उन अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची मांगी थी जो ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए।
नगर निगम के ऐसे 61 कर्मचारियों और अधिकारियों की सूची उच्च न्यायालय को दी गई जो प्रतिनियुक्ति पर ग्वालियर नगर निगम में नियुक्त किए गए।
इस पर उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए इन कर्मचारियों से पूछा कि वह अपना मूल विभाग छोड़कर नगर निगम में काम क्यों कर रहे हैं और ऐसा क्या है कि जो उनके मूल विभाग में नहीं है।
उच्च न्यायालय ने ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर तैनात 61 कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध मानते हुए उन्हें उनके मूल विभाग में भेजने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे अधिकारी जो बिना उचित योग्यता के तैनात किए गए हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
इसके साथ ही, अदालत ने नगर निगम से पूछा है कि वे क्यों अपने यहां स्थायी नियुक्तियों के बजाय प्रतिनियुक्ति पर कमचारियों को लाकर काम पर लगा रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय को नोटिस की तामीली की जिम्मेदारी दी है।
साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि निगम के अतिरिक्त आयुक्त अनिल कुमार दुबे को इस मामले में झूठा शपथ पत्र देने के लिए दोषी पाया गया है। हालांकि, उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का फैसला बाद में लिया जाएगा।
भाषा सं ब्रजेन्द्र