जब्त किए गए वाहन मुंबई जैसे शहर में सार्वजनिक स्थानों पर नहीं रखे जा सकते: उच्च न्यायालय
नेत्रपाल अविनाश राजकुमार
- 19 May 2025, 03:24 PM
- Updated: 03:24 PM
मुंबई, 19 मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि जगह की कमी से जूझ रही मुंबई में सड़कें अब लावारिस वाहनों के लिए ‘कब्रिस्तान’ नहीं बन सकतीं।
इसी के साथ, उच्च न्यायालय ने सभी थानों को स्पष्ट आदेश दिया कि वे ऐसे वाहनों के निपटान के लिए यातायात पुलिस के निर्देशों का सख्ती से पालन करें।
न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की पीठ ने कहा कि ऐसे वाहनों को केवल ‘डंपिंग यार्ड’ में डाल देना पर्याप्त नहीं होगा तथा इनके निपटान के लिए निरंतर कार्रवाई की जानी चाहिए।
यह आदेश आठ मई को जारी किया गया।
पीठ ने कहा, ‘‘मुंबई जैसे शहर में, जहां सार्वजनिक सड़कों और फुटपाथों पर जगह की भारी कमी है एवं स्थान सीमित है, ऐसे सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों को रखकर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता।’’
अदालत ‘मैराथन मैक्सिमा को-ऑप हाउसिंग सोसाइटी’ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने हाउसिंग सोसाइटी के गेट के बाहर निकटवर्ती थाने द्वारा जब्त किए गए वाहनों को रखे जाने से बाधा उत्पन्न होने के बारे में चिंता थी।
यातायात विभाग के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने एक हलफनामे में कहा कि पिछले महीने शहर भर के सभी थानों को एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें सलाह दी गई थी कि जब्त किए गए या लावारिस हालत में छोड़ दिए गए सभी वाहनों को ‘डंपिंग यार्ड’ में ले जाया जाए।
पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह ऐसे वाहनों को रखने के लिए प्रत्येक नगर निगम वार्ड में सुविधाजनक स्थानों की पहचान करे।
अदालत ने कहा, ‘‘केवल वाहनों को ‘डंपिंग’ स्थल पर डाल देना पर्याप्त नहीं होगा। यदि इन वाहनों की आवश्यकता नहीं रह जाती है, तो इन वाहनों के निपटान के लिए निरंतर कार्रवाई की आवश्यकता है, जिसके लिए उचित सलाह जारी करने की आवश्यकता है।’’
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो जुलाई के लिए निर्धारित करते हुए यातायात विभाग से कहा कि याचिका में जो मुद्दे उठाये गये हैं, उनके दीर्घकालिक समाधान के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में वह अदालत को बताए।
भाषा
नेत्रपाल अविनाश