पूर्व सैनिकों के बजाय युवाओं को स्टेटिक गार्ड के काम में लगायें मुख्यमंत्री : महबूबा
राजकुमार रंजन
- 19 May 2025, 03:21 PM
- Updated: 03:21 PM
श्रीनगर, 19 मई (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर सुरक्षा ड्यूटी के लिए नए रंगरूटों के बजाय 4,000 पूर्व सैनिकों को नियुक्त करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि यह विषय इस केंद्र शासित प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी को मद्देनजर उठाया गया है।
महबूबा मुफ्ती ने पत्र में कहा, ‘‘मैं जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों को तैनात करने के आपकी सरकार के हालिया फैसले के बारे में अपनी गहरी शंकाओं और चिंताओं को व्यक्त करने के लिए (यह पत्र) लिख रही हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने पूर्व सैनिकों की सेवा और अनुशासन को महत्व देते हैं, लेकिन यह कदम गंभीर सवाल खड़ा करता है, खासकर इसलिए क्योंकि यह ऐसे समय में आया है जब लाखों शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवा जम्मू-कश्मीर में रोजगार के अवसर के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’’
उन्होंने लिखा है,‘‘गार्ड ड्यूटी के लिए सैन्य विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती है और इसे प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं द्वारा बहुत अच्छी तरह से किया जा सकता है, जिनके लिए ऐसी नौकरी महत्वपूर्ण जीवन रेखा हो सकती है।’’
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि चूंकि इनमें से कई पूर्व सैनिक पहले से ही पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, इसलिए बेरोजगार युवाओं की तुलना में उन्हें प्राथमिकता देने से युवकों में अलग-थलग कर दिये जाने की भावना बढ़ने का जोखिम है।
उन्होंने कहा कि फलस्वरूप सरकार विश्वास और जुड़ाव स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी खो देगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, इस नीति को अल्पकालिक सुरक्षा समाधान के रूप में देखा जा सकता है, जो दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक स्थिरता का समाधान करने में विफल रहता है। स्थानीय युवाओं को ऐसी भूमिकाओं में शामिल करने से न केवल रोजगार पैदा होगा, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा बनाये रखने में जिम्मेदारी, समावेशन और भागीदारी की भावना भी बढ़ेगी, जो क्षेत्र में शांति-स्थापना का एक आवश्यक स्तंभ है।’’
मुफ्ती ने मुख्यमंत्री कार्यालय से इस नीति पर पुनर्विचार करने या उसके पीछे के तर्क को स्पष्ट करने तथा ऐसे समावेशी मॉडल तलाशने का आह्वान किया है, जिससे क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को भी लाभ मिल सके।
भाषा राजकुमार