पुणे पोर्श दुर्घटना के मामले की त्वरित सुनवाई का क्या हुआ: मृतकों के परिजन
यासिर सिम्मी
- 19 May 2025, 10:08 AM
- Updated: 10:08 AM
पुणे, 19 मई (भाषा) पुणे में ठीक एक साल पहले तेज रफ्तार एक लग्जरी कार पोर्श द्वारा दोपहिया वाहन को टक्कर मारे जाने के कारण दो तकनीकी विशेषज्ञों की मौत होने की घटना राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रही थी और इस हादसे ने मृतकों के परिजन की दुनिया उलट दी थी।
लग्जरी कार को कथित रूप से शराब के नशे में धुत होकर एक नाबालिग द्वारा चलाए जाने और फिर आरोपी को बचाने के लिए किए गए ‘‘अवैध कार्यों’’ के सामने आने के बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया था।
इस घटना को एक साल बीत चुका है लेकिन मृतकों अनीश अवधिया और उनकी मित्र अश्विनी कोस्टा के परिजन को अभी तक न्याय नहीं मिल सका है।
वहीं दूसरी ओर नाबालिग के पिता, दो चिकित्सक और कुछ अन्य लोग सलाखों के पीछे हैं। लड़के की मां अंतरिम जमानत पर बाहर है।
पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई 2024 की सुबह कथित तौर पर नशे की हालत में 17 वर्षीय लड़के द्वारा चलाई जा रही पोर्श कार ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी जिससे दोपहिया वाहन पर सवार अवधिया और कोस्टा की मौत हो गई थी।
लड़के को हिरासत में ले लिया गया था लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के सदस्य एल. एन. दानवडे ने उसे जमानत दे दी। नाबालिग से सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहने सहित जमानत की नरम शर्तों की पूरे देश में आलोचना हुई थी।
लोगों के आक्रोश के बीच पुलिस ने जमानत आदेश की समीक्षा किए जाने का अनुरोध किया जिसके बाद जेजेबी ने नाबालिग को सुधार गृह भेज दिया। इसके बाद मुंबई उच्च न्यायालय ने उसे रिहा करने का आदेश दिया।
इस बीच पुणे पुलिस ने बताया था कि दुर्घटना के समय कथित रूप से नशे में धुत लड़के के खून के नमूने उसकी मां के खून के नमूनों से बदल दिए गए थे। इसके बाद पुलिस ने नाबालिग के पिता, ससून अस्पताल के दो चिकित्सकों, अस्पताल के कर्मचारी, दो बिचौलियों और अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था जो वर्तमान में जेल में हैं।
अनीश अवधिया के पिता ओम अवधिया ने न्याय मिलने में हो रही देरी पर निराशा व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ‘‘एक साल बीत चुका है, लेकिन मुकदमा लंबा खिंचता जा रहा है। हमारा बेटा अब हमारे साथ नहीं है। उस नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता लेकिन इस मामले में न्याय नशे में गाड़ी चलाने वालों और उन लोगों के खिलाफ़ एक कड़ा संदेश भेजेगा जो मानते हैं कि धन और ताकत उन्हें कानून से ऊपर रखती है।’’
उन्होंने कहा कि दोनों परिवारों ने प्राधिकारियों से मुकदमे की कार्यवाही में तेजी लाने की अपील की है।
मध्य प्रदेश निवासी ओम अवधिया ने कहा कि उनकी एकमात्र इच्छा दोषियों को सजा मिलते देखने की है।
विशेष अभियोजक शिशिर हिरे ने कहा, ‘‘सत्र न्यायालय ने जेल में बंद आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। मुकदमे की सुनवाई तेजी से हो, यह सुनिश्चित करने के मकसद से हमने आरोप तय करने के लिए पहले ही आवेदन दायर कर दिया है लेकिन मामले में गिरफ्तार एक चिकित्सक ने रिहाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है इसीलिए कार्यवाही लंबित है।’’
भाषा यासिर