शहरी वातावरण में अस्थमा से पीड़ित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है
देवेंद्र प्रशांत
- 18 May 2025, 04:50 PM
- Updated: 04:50 PM
(जेबिन यू और एरिक मेलेन, कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट द्वारा नया शोध)
स्टॉकहोम (स्वीडन), 18 मई (द कन्वरसेशन) अस्थमा दुनियाभर में सबसे अधिक प्रचलित दीर्घकालिक बीमारियों में से एक है, जिससे लगभग 26 करोड़ लोग प्रभावित हैं।
शोधकर्ताओं को लंबे समय से पता है कि वायु प्रदूषण और हरित क्षेत्रों की कमी जैसे पर्यावरणीय कारक अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों से जुड़े हैं। लेकिन किसी व्यक्ति के अस्थमा से पीड़ित होने के जोखिम पर इन विभिन्न पर्यावरणीय कारकों का संयुक्त प्रभाव अब तक स्पष्ट नहीं है।
हमारा अध्ययन शहरी क्षेत्रों में कई पर्यावरणीय कारकों के संयुक्त प्रभाव को अस्थमा के खतरे को उजागर करने वाला पहला अध्ययन है। हमने पाया कि वायु प्रदूषण, हरित क्षेत्र की कमी तथा मुख्यतः कंक्रीट और डामर से बने क्षेत्रों में इस स्थिति के विकसित होने का खतरा काफी अधिक है।
अपना अध्ययन करने के लिए, हमने यूरोप के 14 समूहों से 3,49,037 प्रतिभागियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। प्रतिभागी नवजात से लेकर 70 वर्ष तक के थे।
हमने अध्ययन की शुरुआत में प्रतिभागियों के घर के पते के साथ तीन प्रमुख बाहरी पर्यावरणीय कारकों - वायु प्रदूषण, निर्मित वातावरण और परिवेश के तापमान को भी जोड़ा।
इसके बाद प्रतिभागियों को तीन प्रमुख पर्यावरणीय कारकों के प्रति उनके जोखिम के स्तर के आधार पर समूहीकृत किया गया। इससे हमें यह जांच करने में मदद मिली कि किस प्रकार संपर्क में आना अस्थमा की शुरुआत से जुड़ा हुआ है, तथा यह गणना करने में भी मदद मिली कि इन पर्यावरणीय परिस्थितियों के संपर्क में आने पर किसी व्यक्ति को अस्थमा होने का कितना खतरा होगा।
हमने उन कारकों को भी ध्यान में रखा जो नतीजों को प्रभावित कर सकते थे, जैसे कि व्यक्ति की आयु, लिंग, जातीय पृष्ठभूमि, वजन, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और क्या वे धूम्रपान करते थे (या धुएं के संपर्क में थे)।
हमने पाया कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में रहने वाले वयस्कों में अस्थमा से प्रभावित होने का खतरा कम प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक था। उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में अस्थमा विकसित होने का खतरा 18 प्रतिशत अधिक था।
जिन क्षेत्रों में हरियाली नहीं है, वहां रहने वाले वयस्कों में अस्थमा से पीड़ित होने का खतरा 15 प्रतिशत अधिक है, जबकि बच्चों में यह खतरा 38 प्रतिशत अधिक है।
लेकिन हमारे अध्ययन का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह था कि इन पर्यावरणीय कारकों के संपर्क में आने से बच्चों और वयस्कों दोनों में अस्थमा के नये मामलों में कितनी वृद्धि हुई।
हमने पाया कि सबसे खतरनाक शहरी वातावरण वे थे जिनमें वायु प्रदूषण का उच्च स्तर, हरित स्थानों तक सीमित पहुंच और मुख्य रूप से कंक्रीट और डामर से बने भवन थे। इससे वयस्कों में अस्थमा का खतरा 27 प्रतिशत और बच्चों में अस्थमा का खतरा 35 प्रतिशत तक बढ़ गया।
यहां तक कि जिन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर अधिक नहीं है, लेकिन जो मुख्य रूप से कंक्रीट और डामर से बने हैं और जिनमें हरित क्षेत्रों की कमी है, उनमें भी अस्थमा का खतरा 36 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
शहरी नियोजन और अस्थमा का खतरा
हमारे निष्कर्ष मोटे तौर पर शहरी वातावरण, वायु प्रदूषण और हरित स्थान के अस्थमा के जोखिम पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में पिछले अध्ययनों में किए गए निष्कर्षों के अनुरूप हैं। हमारा अध्ययन वयस्कों और बच्चों दोनों में अस्थमा के मामलों पर गौर करने वाला पहला अध्ययन है।
(द कन्वरसेशन)
देवेंद्र