भारतीयों को भी अब लुभा रहा ‘बबल टी’ का स्वाद
धीरज सुभाष
- 18 May 2025, 04:36 PM
- Updated: 04:36 PM
(माणिक गुप्ता)
नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) सदियों से भारतीयों की सुबह चाय की चुस्की के साथ शुरू होती रही है, लेकिन समय के साथ इसमें दूध के साथ कई फलों के स्वाद को भी जोड़ा गया और अब यह युवाओं एवं बच्चों के बीच ‘बबल टी’ के नाम से अपनी जगह बना रही है।
बाजार अनुसंधान और परामर्श कंपनी ‘कस्टम मार्केट इनसाइट्स’ के अनुसार, भारत में बबल टी का बाजार 2024 में 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर से दोगुना होकर 2033 तक 93 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इससे यह एक पूर्ण विकसित ‘बबल टी पार्टी’ बन जाएगी, जिसका अभिप्राय चाय बार से है, जहां आगंतुक स्वादानुसार ‘बबल टी’ बना सकते हैं।
यह लगभग हर किसी की पसंद है।
इसलिए, गुरुग्राम में रहने वाली प्रिशा और राकेश मांडवया, कई अन्य भारतीयों की तरह, दिन में कई बार चाय पीते हैं, और उनका 12 वर्षीय बेटा भी ऐसा ही करता है लेकिन उसकी पसंद का पेय कहीं अधिक चलन में है।
गृहिणी प्रिशा (40) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘वह पूरी तरह से ‘बबल टी’ का आदी हो चुका है। मुझे नहीं पता कि यह चीनी की वजह से है या फलों के स्वाद के कारण है। बच्चों को यह बहुत पसंद आता है। हम हमेशा से चाय पसंद करने वाले परिवार रहे हैं, लेकिन इस नए जमाने की चाय के प्रति उसके जुनून ने हमें चौंका दिया है।’’
यह अनोखा पेय, जिसने फिलीपीन, उत्तरी अमेरिका महाद्वीप और अन्य स्थानों पर अपनी छाप छोड़ी है, अब भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा, जिसमें बोबा भाई, नोमी टी और हाराजुकू तोक्यो कैफे जैसे नए जमाने के ब्रांड अग्रणी भूमिका में हैं।
मूल रूप से 1980 के दशक में ताइवान में स्कूली बच्चों के लिए एक स्फूर्तिभरी पेय के रूप में तैयार की गई ‘बबल टी’ ने तब से वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना ली है और इस दौरान इसे कई नामों से जाना गया है - ‘बोबा’ और ‘क्यूक्यू’ (चबाने योग्य खाने की चीजों के लिए चीनी शब्दावली) से लेकर पश्चिम के कुछ हिस्सों में इसे ‘बूबू’ नाम दिया गया है।
लेखिका हेलेन सबेरी की हाल ही में प्रकाशित पुस्तक ‘टी: ए ग्लोबल हिस्ट्री’ के अनुसार, ‘‘एक दुकानदार ने अपने ग्राहकों को खुश करने के लिए, दूध वाली चाय में विभिन्न फलों के स्वादों को मिलाना शुरू कर दिया, जिसे उसने सभी चीजों को एक साथ मिलाने के लिए जोर से हिलाया। ऊपर बुलबुले बनने लगे। बच्चों को अपनी चाय के मीठे, ठंडे स्वाद का यह नया आयाम पसंद आया और अन्य ने भी यही किया।’’
भारत में क्यों हो रहा इतना लोकप्रिय?
बोबा भाई के संस्थापक और सीईओ ध्रुव कोहली ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘चूंकि भारत की युवा पीढ़ी अंतरराष्ट्रीय यात्रा, सोशल मीडिया ट्रेंड और पॉप संस्कृति से अधिक प्रभावित हुई है, इसलिए बबल टी - जो अपने विभिन्न रंगों, चबाने वाले टैपिओका और कई स्वादों के लिए जानी जाती है - ने स्वाभाविक रूप से उनका ध्यान आकर्षित किया। पिछले कुछ वर्षों में, हमने शहरी भारत में कोरियाई संस्कृति, संगीत, खाद्य पदार्थों और पेय के लिए बढ़ती जिज्ञासा देखी है। ताइवान में अपनी जड़ों के साथ बबल टी इस प्रवृत्ति में सहज रूप से फिट बैठती है।’’
भाषा धीरज