सुनवाई में देरी को लेकर शीर्ष अदालत झारखंड उच्च न्यायालय से नाखुश
पारुल माधव
- 16 May 2025, 10:29 PM
- Updated: 10:29 PM
नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तीन छात्रों की इस शिकायत के मद्देनजर झारखंड उच्च न्यायालय के प्रति शुक्रवार को नाखुशी जाहिर की कि होम गार्ड की नियुक्ति से जुड़े उनके मामले में अप्रैल 2023 के बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता निखिल गोयल ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायूमर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को बताया कि झारखंड उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश वाली पीठ ने आखिरी बार छह अप्रैल 2023 को मामले की सुनवाई की थी और मौखिक रूप से कहा था कि वह अपना फैसला सुरक्षित रख रही है, लेकिन अब तक कोई आदेश पारित नहीं किया गया है।
पीठ ने उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों से जुड़े एक अन्य मामले में झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से दायर रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि दीवानी मामलों का विवरण दाखिल नहीं किया गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने एक अन्य मामले में पांच मई को पारित आदेश को गलत समझा, जिसके तहत ऐसे लंबित मामलों का विवरण मांगा गया था।
पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस कर उन सभी दीवानी मामलों के सिलसिले में एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया, जिनमें दलीलें सुन ली गई हैं, लेकिन फैसला नहीं दिया गया है। इनमें याचिकाकर्ताओं और अन्य सह-याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर रिट याचिकाएं भी शामिल हैं।
पीठ ने आदेश दिया, “रजिस्ट्रार जनरल से दीवानी मामलों के सिलसिले में भी एक रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद की गई थी, जैसा कि पांच मई के आदेश में स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया था...। बहरहाल, विभिन्न पीठ के समक्ष लंबित सभी दीवानी मामलों के सिलसिले में एक व्यापक रिपोर्ट पेश की जाए।”
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख निर्धारित की।
वकील वान्या गुप्ता के माध्यम से दायर याचिकाओं के अनुसार, होम गार्ड के पद पर भर्ती के इच्छुक तीन अभ्यर्थियों ने शीर्ष अदालत से झारखंड उच्च न्यायालय को अपने मामलों में फैसला सुनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
झारखंड सरकार ने 2017 में होम गार्ड के 1,000 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। हालांकि, बाद में उसने ये भर्तियां रद्द कर दीं, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने 2021 में उच्च न्यायालय का रुख किया। इन तीनों अभ्यर्थियों का नाम मेरिट सूची में था।
भाषा पारुल