पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध पूरी तरह से द्विपक्षीय रहेंगे, बातचीत आतंकवाद तक ही सीमित: जयशंकर
देवेंद्र माधव
- 15 May 2025, 10:02 PM
- Updated: 10:02 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत का संबंध और व्यवहार ‘‘पूरी तरह से द्विपक्षीय’’ रहेगा और इस संबंध में कई वर्षों से राष्ट्रीय सहमति बनी हुई है और इसमें ‘‘कतई कोई बदलाव नहीं’’ होगा।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन ‘‘विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से’’ बंद नहीं कर देता।
जयशंकर ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम हमले के दोषियों को जवाबदेह ठहराने की जरूरत पर बल दिया था और सात मई की सुबह ‘‘हमने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए उन्हें जवाबदेह ठहराया।’’
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने छह-सात मई की रात को पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचों पर सटीक हमले किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। पाकिस्तान की कार्रवाई का भारतीय पक्ष द्वारा कड़ा जवाब दिया गया था।
दोनों पक्षों ने 10 मई को अपराह्न में सैन्य अभियान महानिदेशकों के बीच वार्ता के बाद सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति की घोषणा की थी।
जयशंकर ने कहा, ‘‘मेरे लिए चीजें बिल्कुल स्पष्ट हैं। इसलिए, मैं इस मौके पर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहता हूं। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है, हमारे संबंध, उनके साथ पूरी तरह से द्विपक्षीय रहेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई वर्षों से यह राष्ट्रीय सहमति है और इस सहमति में कोई बदलाव नहीं आया है कि पाकिस्तान के साथ संबंध द्विपक्षीय होंगे।’’
जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात ‘‘बहुत स्पष्ट’’ कर दी है कि पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत केवल आतंकवाद पर ही होगी।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के पास आतंकवादियों की एक सूची है, जिसे सौंपे जाने की जरूरत है। उन्हें आतंकवादी बुनियादी ढांचे को बंद करना होगा, वे जानते हैं कि क्या करना है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवाद पर क्या किया जाना है, हम इस संबंध में चर्चा करने के लिए तैयार हैं।’’
विदेश मंत्री यहां होंडुरास के दूतावास के उद्घाटन के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उनसे सिंधु जल संधि तथा 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर बनी सहमति के बारे में भी पूछा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘जल मुद्दे उठाए गए हैं। मैं फिर से जोर देकर कहना चाहता हूं कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने इस बात को स्पष्ट रूप से कहा है कि सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन ‘‘विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से’’ बंद नहीं कर देता।’’
कश्मीर मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर पर चर्चा के लिए केवल एक ही बात बची है, वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली कराना। हम इस पर पाकिस्तान के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं...सरकार की स्थिति बहुत स्पष्ट है।’’
जयशंकर ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘आप जिसे संघर्षविराम कहते हैं, हम उसे गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को रोकना कहते हैं। हमने बहावलपुर और मुरीदके, मुजफ्फराबाद और अन्य स्थानों पर आतंकवादी ढांचे को नष्ट करके जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उन्हें हासिल कर लिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद...चूंकि प्रमुख लक्ष्य हासिल हो गए थे, इसलिए मुझे लगता है कि हमने उचित ही रुख अपनाया, क्योंकि अभियान की शुरुआत में ही हमने पाकिस्तान को संदेश भेज दिया था कि हम आतंकवादी ढांचे पर हमला कर रहे हैं, हम सेना पर हमला नहीं कर रहे हैं, इसलिए सेना के पास इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने और अलग रहने का विकल्प है। उन्होंने इस अच्छी सलाह को न मानने का फैसला किया।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि 10 मई की सुबह उन्हें ‘‘बहुत बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया गया’’ और आप सभी ने आज उपग्रह चित्र देखे हैं जो वास्तव में ‘‘बहुत स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि हमने कितना नुकसान किया’’।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, ये तस्वीरें आपको बताएंगी कि उन्हें कितना नुकसान हुआ और वही लोग जो 7 मई को पीछे हटने को तैयार नहीं थे, वे 10 मई को बातचीत करने और पीछे हटने को तैयार हो गए। यह बहुत स्पष्ट है कि कौन गोलीबारी बंद करना चाहता था।’’
नए दूतावास के उद्घाटन के मौके पर जयशंकर ने कहा कि भारत के लिए यह बहुत अच्छी बात है कि यहां सीईएलएसी (लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई राज्यों के समुदाय) समूह के एक देश का नया दूतावास है।
उन्होंने कहा, ‘‘होंडुरास एक ऐसा देश है जहां व्यापार बढ़ रहा है, वे राजनीतिक रूप से हमारा समर्थन करते हैं। वे उन देशों में से एक थे जिन्होंने पहलगाम हमले के मामले में मजबूत एकजुटता व्यक्त की थी, इसलिए मैं इसकी बहुत सराहना करता हूं।’’
भाषा
देवेंद्र