इंजीनियर रशीद की जमानत अर्जी पर उच्च न्यायालय ने एनआईए से उसका रुख पूछा
संतोष प्रशांत
- 15 May 2025, 06:50 PM
- Updated: 06:50 PM
नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में बारामूला के सांसद इंजीनियर रशीद की जमानत याचिका पर एनआईए से उसका रुख पूछा।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने 21 मार्च को सांसद को जमानत देने से इनकार करने के एक निचली अदालत के आदेश खिलाफ उनकी अपील पर नोटिस जारी किया।
पीठ ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से रशीद की, मामले में आरोप तय किए जाने को चुनौती देने वाली एक अलग याचिका पर भी जवाब देने को कहा।
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकी समूहों को कथित तौर पर वित्त पोषण करने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे रशीद ने मुकदमे में देरी और लोकसभा सांसद के रूप में अपना कर्तव्य निभाने में असमर्थता का हवाला देते हुए जमानत का अनुरोध किया है।
एनआईए के वकील ने कहा कि वह जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करेंगे, लेकिन उन्होंने ‘काफी देरी’ के आधार पर आरोपों के खिलाफ याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति जताई।
अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपों के खिलाफ अपील को लेकर एनआईए का जवाब केवल चुनौती देने में लगभग 1,100 दिनों की देरी के प्रश्न तक ही सीमित होना चाहिए।
अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 जुलाई तय की है।
रशीद को 2017 के आतंकवाद वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 2019 से तिहाड़ जेल में रखा गया है।
अधीनस्थ अदालत ने 21 मार्च को रशीद की दूसरी नियमित जमानत की अर्जी को भी खारिज कर दिया था।
फैसले के खिलाफ अपील में सांसद ने कहा कि वह पहले ही पांच वर्ष से अधिक का समय हिरासत में गुजार चुके हैं और सुनवाई में देरी हो रही है जिसके शीघ्र पूरा होने की संभावना नहीं है, इसलिए वह जमानत पर रिहा किए जाने के हकदार हैं।
रशीद ने लोकसभा सत्र में भाग लेने के लिए भी जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि उनकी उपस्थिति अनिवार्य है क्योंकि वह कश्मीर घाटी के 45 प्रतिशत लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें ‘‘संसद और उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के बीच सेतु के रूप में कार्य करने की भूमिका सौंपी गई है।’’
एनआईए ने आरोप लगाया कि रशीद ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को वित्तपोषित करने और सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूलों को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के जरिए घाटी में अशांति पैदा करने के लिए अवैध तरीकों से धन जुटाया, प्राप्त किया और एकत्र किया।
व्यवसायी और सह-आरोपी जहूर वटाली से पूछताछ के दौरान उनका नाम सामने आया। अक्टूबर 2019 में आरोपपत्र दाखिल होने के बाद एक विशेष एनआईए अदालत ने मार्च, 2022 में उनके खिलाफ आरोप तय किए।
भाषा संतोष