हैदराबाद विवि के पास वन क्षेत्र बहाल करें या कार्रवाई का सामना करें: न्यायालय की तेलंगाना को चेतावनी
शफीक मनीषा
- 15 May 2025, 04:34 PM
- Updated: 04:34 PM
नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के बगल में पेड़ों की कटाई प्रथम दृष्टया ‘‘पूर्व नियोजित’’ प्रतीत होती है।
न्यायालय ने तेलंगाना सरकार से कहा कि वन क्षेत्र को बहाल किया जाए अन्यथा उसके अधिकारियों को जेल भेजा जा सकता है।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह राज्य पर निर्भर है कि वह वन क्षेत्र को बहाल करना चाहता है या वह अपने अधिकारियों को जेल भेजना चाहता है। पीठ ने सवाल किया कि जब अदालतें उपलब्ध नहीं थीं तो लंबे सप्ताहांत का लाभ उठाकर पेड़ों की कटाई क्यों की गई।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब पूर्व नियोजित था। तीन दिन की छुट्टियां आ रही थीं और आपने इसका लाभ उठाया क्योंकि अदालतें उपलब्ध नहीं होतीं।’’
कांचा गाचीबोवली वन में पेड़ों की कटाई का स्वत: संज्ञान लेते हुए, उच्चतम न्यायालय ने तीन अप्रैल को राज्य या किसी प्राधिकारी द्वारा वहां पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा को छोड़कर, अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
बृहस्पतिवार को तेलंगाना सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि संबंधित स्थल पर कोई गतिविधि नहीं की जा रही है और उन्होंने शीर्ष अदालत के निर्देशों का ‘‘शब्दशः’’ पालन करने का आश्वासन दिया।
न्याय मित्र के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण ने उपग्रह चित्रों का उपयोग करके केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को एक रिपोर्ट दी है, जिसमें दर्शाया गया है कि कुल 104 एकड़ क्षेत्र, जहां पेड़ काटे गए थे, का केवल 60 प्रतिशत हिस्सा मध्यम रूप से घना और अत्यधिक घना जंगल था।
पीठ ने राज्य की ओर से पेश वकील से कहा, ‘‘यदि आप अवमानना से बचना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप वन क्षेत्र को बहाल करने का निर्णय लें।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम आपको सतर्क कर रहे हैं। अगर आप किसी तरह का बचाव करने की कोशिश करेंगे, तो मुख्य सचिव और इसमें शामिल सभी अधिकारी मुश्किल में पड़ जाएंगे। लंबे सप्ताहांत का फायदा उठाकर आप यह सब कर रहे हैं।’’
तस्वीरों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने पेड़ों को गिराने के लिए दर्जनों बुलडोजर का इंतजाम कर लिया था। इसने कहा कि पेड़ों को गिराने के लिए राज्य को अपेक्षित अनुमति लेनी होती है।
सुनवाई के दौरान एक अन्य अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने मामले को उजागर करने वाले छात्रों की ओर से एक आवेदन दायर किया है जो जंगल को बचाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि छात्रों पर प्राथमिकी दर्ज की गई जबकि विश्वविद्यालय में परीक्षा चल रही थी।
पीठ ने कहा कि आवेदक अपनी शिकायतों को उठाते हुए एक अलग याचिका दायर कर सकते हैं।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई के लिए निर्धारित की।
भाषा शफीक