जल बंटवारा मुद्दा: उच्च न्यायालय ने केंद्र, हरियाणा, बीबीएमबी से जवाब मांगा
देवेंद्र अविनाश
- 14 May 2025, 11:13 PM
- Updated: 11:13 PM
चंडीगढ़, 14 मई (भाषा) पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के अपने छह मई के आदेश की समीक्षा के लिए पंजाब सरकार की याचिका पर बुधवार को केंद्र, हरियाणा और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 20 मई तय की।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब ने केंद्र के दो मई के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए दलील दी कि केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) नियमों के तहत जल आवंटन पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।
पंजाब के महाधिवक्ता मनिंदरजीत सिंह बेदी और अतिरिक्त महाधिवक्ता चंचल सिंगला के साथ पेश हुए वरिष्ठ वकील गुरमिंदर सिंह ने दलील दी कि बीबीएमबी ने ‘‘हरियाणा को अतिरिक्त पानी आवंटित करने के अवैध आदेश को लागू करने के लिए तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया’’।
उच्च न्यायालय ने छह मई को पंजाब को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के निर्णय का पालन करने का निर्देश दिया था।
मोहन ने दो मई को उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें राज्य की तत्काल जल जरूरतों को पूरा करने के लिए भाखड़ा बांध से हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के बीबीएमबी के निर्णय को लागू करने की सलाह दी गई थी।
अपनी याचिका में पंजाब ने आपत्ति जताई कि केंद्रीय गृह सचिव पानी छोड़ने से संबंधित मुद्दे से निपटने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी नहीं हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान के अनुच्छेद 262 और अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत पंजाब के निर्धारित हिस्से से अधिक पानी हरियाणा को देने के लिए उसकी सहमति आवश्यक है।
पंजाब सरकार ने अपनी दलील में कहा कि उसने हरियाणा को प्रतिदिन 4,000 क्यूसेक पानी देने पर पहले ही सहमति दे दी है, लेकिन आठ दिन के लिए 4,500 क्यूसेक की अतिरिक्त मांग पर आपत्ति जताई है।
प्रवक्ता ने कहा कि अदालत को बताया गया कि 28 अप्रैल को बीबीएमबी की बैठक के दौरान पंजाब ने हरियाणा की 8,500 क्यूसेक पानी की मांग पर विशेष आपत्तियां दर्ज कराई थीं और इस पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई थी।
पंजाब सरकार ने कहा कि राज्यों के बीच किसी भी जल विवाद का निर्णय केवल जल न्यायाधिकरण गठित करके ही किया जा सकता है।
पंजाब के महाधिवक्ता बेदी ने कहा कि राज्य सरकार ने 12 मई को एक समीक्षा याचिका दायर की थी, जिसमें प्रक्रियागत उल्लंघन और तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया गया।
याचिका में कहा गया है कि बीबीएमबी भाजपा नीत केंद्र के इशारे पर पंजाब का पानी हरियाणा की ओर छोड़ने का ‘‘अवैध’’ प्रयास कर रहा है।
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