मप्र के मंत्री ने कर्नल सोफिया के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की, प्राथमिकी दर्ज हो: उच्च न्यायालय
ब्रजेन्द्र सुरभि
- 14 May 2025, 10:20 PM
- Updated: 10:20 PM
जबलपुर (मप्र), 14 मई (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ ‘‘खतरनाक’’ और ‘‘अपमानजनक’’ टिप्पणी तथा ‘‘अमर्यादित भाषा’’ का इस्तेमाल करने के लिए बुधवार को राज्य के मंत्री विजय शाह को फटकार लगाई तथा पुलिस को उनके खिलाफ शत्रुता एवं घृणा को बढ़ावा देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि मंत्री की टिप्पणियों में विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच वैमनस्य, शत्रुता, घृणा या द्वेष की भावना पैदा करने की प्रवृत्ति है।
अदालत ने कहा कि शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ ‘‘गटर की भाषा’’ का इस्तेमाल किया है। अदालत ने यह भी कहा कि सशस्त्र बल ‘शायद इस देश में आखिरी संस्थान’ हैं जो ईमानदारी, अनुशासन, बलिदान, नि:स्वार्थ भाव, चरित्र, सम्मान और अदम्य साहस को दर्शाते हैं।
कर्नल सोफिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारत के पक्ष को मीडिया के माध्यम से देश-दुनिया के सामने रखने वाली टीम का हिस्सा थीं।
मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और आदिम जाति कल्याण मंत्री शाह ने पिछले दिनों कर्नल कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कर्नल सोफिया को ‘आतंकवादियों की बहन’ के रूप में पेश करने की कोशिश की थी।
उन्होंने सोमवार को इंदौर के पास रामकुंडा गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए ये अपमानजनक टिप्पणियां की थीं।
उनके बयानों का स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने पुलिस को मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया।
अदालत ने पुलिस विभाग को बुधवार शाम छह बजे तक प्राथमिकी दर्ज करने और इस बारे में सूचित करने का भी निर्देश दिया।
खंडपीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य), 196 (1) (बी) (धर्म, जाति, भाषा या अन्य समान विशेषताओं के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 197 (1) (सी) (बयान या कार्रवाई जो शत्रुता, या विभिन्न समूहों के बीच घृणा पैदा करता है) के तहत अपराधों के लिए शाह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।
अदालत के आदेश में कहा गया है कि यह आज शाम तक किया जाना चाहिए और ऐसा नहीं होने पर कल जब मामले की सुनवाई होगी तो अदालत राज्य के पुलिस महानिदेशक के खिलाफ इस आदेश की अवमानना के लिए कार्यवाही पर विचार कर सकती है।
अदालत ने कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय को निर्देश दिया जाता है कि यह आदेश तत्काल डीजीपी कार्यालय को भेजा जाए और सुनिश्चित किया जाए कि इसका पालन हो।
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया, ‘‘विभिन्न अखबारों और डिजिटल मीडिया में सोमवार को महू के अंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हुई घटना के कारण यह अदालत इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेने के लिए मजबूर हुई है।’’
आदेश में कहा गया है कि मध्यप्रदेश सरकार के एक मौजूदा मंत्री, जिनका नाम विजय शाह है, ने भारतीय सेना की एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ ‘अभद्र भाषा’ का इस्तेमाल किया है।
अदालत ने कहा, ‘‘यह टिप्पणी सशस्त्र बलों के लिए अपमानजनक है। सशस्त्र बल, शायद इस देश में मौजूद आखिरी संस्थान है, जो ईमानदारी, उद्योग, अनुशासन, बलिदान, नि:स्वार्थ भाव, चरित्र, सम्मान और अदम्य साहस को दर्शाता है और जिसे इस देश का हर नागरिक अपनी पहचान समझता है, उसे विजय शाह ने निशाना बनाया है। उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ ‘‘गटर की भाषा’’ का इस्तेमाल किया है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि शाह द्वारा दिए गए बयान में प्रथम दृष्टया मुस्लिम धर्म के सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के बीच वैमनस्य या घृणा अथवा द्वेष की भावना पैदा करने की प्रवृत्ति है।
अदालत ने कहा कि विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी सशस्त्र बलों का चेहरा थीं, जिन्होंने मीडिया और राष्ट्र को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रगति के बारे में जानकारी दी।
अदालत ने कहा कि कार्यक्रम में मंत्री ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ परोक्ष टिप्पणी की जो किसी और से नहीं बल्कि उनके अकेले के लिए है क्योंकि मंत्री द्वारा की गई टिप्पणी के विवरण में फिट होने वाला कोई और नहीं है।
अदालत ने कहा, ‘‘उस सार्वजनिक समारोह में उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताया, जिन्होंने पहलगाम में 26 निर्दोष भारतीयों की हत्या को अंजाम दिया था।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘उनकी टिप्पणियां न केवल संबंधित अधिकारी के लिए बल्कि सशस्त्र बलों के लिए भी अपमानजनक और खतरनाक हैं।’’
अपनी टिप्पणियों को लेकर चौतरफा आलोचनाओं में घिरने के बाद शाह ने सफाई देते हुए कहा था कि अगर उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो वह दस बार माफी मांगने को तैयार हैं।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शाह को मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।
भाषा ब्रजेन्द्र