छत्तीसगढ़ के शासकीय विद्यालयों में 'मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान' का संचालन करने का फैसला
संजीव नोमान
- 14 May 2025, 04:55 PM
- Updated: 04:55 PM
रायपुर, 14 मई (भाषा) छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य के शासकीय विद्यालयों में 'मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान' का संचालन करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यहां ‘मंत्रालय’ में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य के शासकीय विद्यालयों में 'मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान' का संचालन करने का फैसला किया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, पालक-शिक्षक (पैरेंट-टीचर) सहभागिता बढ़ाने और शैक्षणिक उपलब्धियों को उन्नत करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अभियान के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि अभियान के तहत विद्यालयों का सामाजिक अंकेक्षण कर गुणवत्ता के आधार पर ग्रेडिंग की जाएगी। कमजोर शालाओं (स्कूल) की नियमित निगरानी विभिन्न विभागों के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सुनिश्चित की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने साहित्य और कला के क्षेत्र में अर्थाभाव से जूझ रहे राज्य के कलाकारों और साहित्यकारों को राहत देने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि विधानसभा के बजट सत्र में की गई घोषणा के परिपालन में अब कलाकारों को दी जाने वाली मासिक वित्तीय सहायता (पेंशन) को दो हजार रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
उनके मुताबिक, इसके लिए संस्कृति विभाग के अंतर्गत संचालित वित्तीय सहायता योजना नियम-1986 में संशोधन के प्रस्ताव का मंत्रिपरिषद ने अनुमोदन कर दिया है। इससे उन कलाकारों और साहित्यकारों को आर्थिक संबल मिलेगा, जो आजीविका के लिए संघर्षरत हैं।
अधिकारियों ने बताया कि यह योजना वर्ष 1986 में शुरू की गई थी, तब न्यूनतम सहायता राशि 150 रुपये और अधिकतम 600 रुपये निर्धारित थी। बाद में वर्ष 2007 में इसे बढ़ाकर 1500 रुपये और फिर 2012 में 2000 रुपये किया गया था, लेकिन पिछले 12 वर्षों में कोई वृद्धि नहीं हुई थी। वर्तमान में राज्य में कुल 162 कलाकारों को यह पेंशन दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रत्येक कलाकार को सालाना 24 हजार रुपये पेंशन की राशि मिल रही है, जो संशोधन के बाद बढ़कर 60 हजार रुपये हो जाएगी। इससे राज्य पर 58.32 लाख रुपये का अतिरिक्त वार्षिक भार आएगा।
अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने राज्य में औद्योगिक विकास को और अधिक गति देने तथा भूमि आबंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम, 2015 में संशोधन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।
उन्होंने बताया कि इस संशोधन से औद्योगिक क्षेत्रों, लैंड बैंक तथा अन्य भूमि खंडों के आबंटन की प्रक्रिया में और अधिक स्पष्टता तथा पारदर्शिता आएगी, इससे औद्योगिक निवेशकों को भूमि आबंटन प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने और लाभ उठाने में सुविधा होगी।
अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने छत्तीसगढ़ राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य की औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में कई महत्वपूर्ण संशोधनों को मंजूरी दी है। इससे राज्य की औद्योगिक नीति और अधिक रोजगारपरक, व्यापक और उद्यमों के लिए लाभकारी हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि प्रस्तावित संशोधन से राज्य में रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे साथ ही आधुनिक खेती से लेकर खिलौना उद्योग तक को बढ़ावा मिलेगा।
अधिकारियों ने बताया कि नई नीति के तहत जिन कंपनियों में छत्तीसगढ़ के लोगों को नौकरी मिलेगी, उन्हें सरकार की तरफ से अनुदान मिलेगा।
उनके मुताबिक, अब ‘हाइड्रोपोनिक’ और ‘ऐयरोपोनिक’ जैसी आधुनिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। किसानों को नई तकनीक, जैसे ‘ऑटोमेशन’ और ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ का फायदा मिलेगा।
इसके तहत राज्य में खेल अकादमी और निजी प्रशिक्षण केंद्रों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण और करियर के अवसर मिलेंगे।
उन्होंने बताया कि नई नीति के तहत गुणवत्ता पूर्ण विश्वविद्यालयों की स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा तथा ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग और सर्विस सेंटर को सभी विकासखण्ड समूहों में मान्य किया जाएगा।
उनके अनुसार, राज्य के बस्तर और सरगुजा संभाग में होटल और रिसॉर्ट बनाने के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा घटा दी गई है, जिससे इन इलाकों में पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने बताया कि वहीं वस्त्र क्षेत्र में निवेश करने पर अब 200 प्रतिशत तक का प्रोत्साहन मिलेगा जिससे सिलाई, कढ़ाई और बुनाई जैसे काम करने वालों को भी फायदा मिलेगा।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य के हर हिस्से में माल ढुलाई और व्यापार को आसान बनाने के लिए नई ‘लॉजिस्टिक’ नीति लाई जाएगी जिससे व्यापारियों को फायदा होगा तथा बाजारों तक पहुंच आसान होगी।
उनके मुताबिक, दिव्यांगजनों की परिभाषा को नया रूप दिया गया है जिससे उन्हें ज्यादा योजनाओं का लाभ मिल सके।
भाषा संजीव