खाद्य वस्तुओं, ईंधन की कीमतों में नरमी से अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति घटकर 0.85 प्रतिशत पर
निहारिका अजय
- 14 May 2025, 02:42 PM
- Updated: 02:42 PM
नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में कमी आने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 0.85 प्रतिशत रह गई। बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 2.05 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 1.19 प्रतिशत रही थी।
अप्रैल में दर्ज 0.85 प्रतिशत थोक मूल्य सूचकांक की दर मार्च, 2024 के बाद से सबसे कम है। उस समय यह 0.26 प्रतिशत के स्तर पर थी।
उद्योग मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘ ...मुख्य तौर पर खाद्य उत्पादों, विनिर्माण, रसायनों व रासायनिक उत्पादों, अन्य परिवहन उपकरणों के विनिर्माण व मशीनरी तथा उपकरणों के विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही।’’
थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य, ईंधन तथा बिजली के साथ-साथ विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में कमी से इसमें नरमी आई।
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में अप्रैल में 0.86 प्रतिशत की गिरावट आई। मार्च में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत थी। अप्रैल में सब्जियों की मुद्रास्फीति दर 18.26 प्रतिशत रही जबकि मार्च में यह 15.88 प्रतिशत रही थी। प्याज की मुद्रास्फीति घटकर 0.20 प्रतिशत हो गई जो मार्च में 26.65 प्रतिशत थी।
फलों की मुद्रास्फीति घटकर 8.38 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले महीने 20.78 प्रतिशत पर थी। आलू और दालों कीमतों में भी क्रमशः 24.30 प्रतिशत और 5.57 प्रतिशत की कमी आई।
बार्कलेज ने एक शोध पत्र में कहा, ‘‘ अनुकूल आधार प्रभाव आने वाले महीनों में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति को कम रखेगा।’’
ईंधन व बिजली की महंगाई दर में अप्रैल में 2.18 प्रतिशत की कमी आई। जबकि मार्च में इन उत्पादों की मुद्रास्फीति 0.20 प्रतिशत थी।
अप्रैल में विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर 2.62 रही, जबकि मार्च में यह 3.07 प्रतिशत थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि केरल में समय से पहले मानसून आने और देश में सामान्य से अधिक मानसून रहने के अनुमान फसल उत्पादन के लिए सकारात्मक है। इसके परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान भी सकारात्मक है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर करीब छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है।
मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति 3.16 प्रतिशत रही, जो जुलाई, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। जुलाई, 2019 में यह 3.15 प्रतिशत थी।
मार्च, 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 4.83 प्रतिशत थी।
आरबीआई ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था।
भाषा निहारिका