शांतिपूर्ण तरीके तलाशने के लिए मोदी सरकार को राजनीतिक रूप से दंडित नहीं किया जाना चाहिए: मुफ्ती
आशीष पवनेश
- 13 May 2025, 07:28 PM
- Updated: 07:28 PM
श्रीनगर, 13 मई (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को शांतिपूर्ण तरीके तलाशने के लिए ‘‘राजनीतिक रूप से दंडित’’ नहीं किया जाना चाहिए और विपक्ष को राजनीति से ऊपर उठकर शांति एवं स्थिरता के लिए वास्तविक प्रयासों का समर्थन करना चाहिए।
मुफ्ती ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं सभी विपक्षी दलों से अपील करती हूं कि वे बिना सोचे-समझे आलोचना करने या राजनीतिक फायदा देखने की प्रवृत्ति से बचें। जिस तरह पहलगाम की घटना ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक आवाजें एक कर दीं, उसी तरह शांति प्रक्रिया के इर्द-गिर्द राष्ट्रीय आम सहमति बनाने की जरूरत है, जो राष्ट्रीय हितों की रक्षा करे।’’
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह जैसे नेताओं ने साबित कर दिया कि सुरक्षा या संप्रभुता से समझौता किए बिना, तनावपूर्ण समय में भी सीमा पार बातचीत संभव है।
मुफ्ती ने कहा, ‘‘मोदी सरकार को शांतिपूर्ण तरीके तलाशने के लिए राजनीतिक रूप से दंडित नहीं किया जाना चाहिए। यह विभाजन का नहीं, बल्कि सभी के साथ आने का समय है। विपक्षी दलों को राजनीति से ऊपर उठकर शांति और स्थिरता के लिए वास्तविक प्रयासों का समर्थन करना चाहिए।’’
पीडीपी अध्यक्ष ने कुछ टीवी समाचार चैनलों की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग वातानुकूलित स्टूडियो और ड्राइंग रूम में बैठकर सैन्य टकराव रोकने की आलोचना करते हैं, उन्हें सीमा पर अपने परिवारों के साथ समय बिताना चाहिए ताकि वे मौत और विनाश की दैनिक वास्तविकता को सही मायने में समझ सकें।
मुफ्ती ने इससे पहले ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था कि मीडिया देश का ‘ध्यान’ भटका रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे देश में उन्मादी भीड़ लंबे समय से मुगल शासक औरंगजेब को दंडित करने के लिए दुकानों में तोड़फोड़ कर रही है, मस्जिदों पर बुलडोजर चला रही है और कब्रें खोद रही है, वहीं सीमा पार उनके हमनाम एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद अपने सुरक्षा बलों को आधुनिक हवाई युद्ध के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि भारत टेलीविजन चैनलों द्वारा बनाए जा रहे जहरीले माहौल के प्रति सचेत हो जाए, जिन्होंने देश का ध्यान उसकी वास्तविक चुनौतियों और प्राथमिकताओं से खतरनाक तरीके से भटका दिया है।’’
भाषा आशीष