उल्कापिंड और मंगल के भूकंप लाल ग्रह पर तरल जल के भूमिगत महासागर का संकेत देते हैं
(द कन्वरसेशन) मनीषा वैभव
- 12 May 2025, 12:31 PM
- Updated: 12:31 PM
हरवोजे कैल्किक, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी और वीजा सुन, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज
बीजिंग / कैनबरा, 12 मई (द कन्वरसेशन) इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि मंगल के धूल भरे लाल मैदानों के नीचे एक रहस्य छिपा है, जो लाल ग्रह के बारे में हमारे नज़रिए को फिर से परिभाषित कर सकता है: इसमें पानी का एक विशाल भंडार है, जो पृथ्वी की सतह में गहराई तक है।
मंगल ग्रह पर प्राचीन जल निकायों के निशान हैं। लेकिन जब ग्रह ठंडा और शुष्क हो गया तो यह सब कहां चला गया, इसकी पहेली ने वैज्ञानिकों को लंबे समय से उलझन में डाल रखा है।
हमारा नया अध्ययन शायद इसका जवाब दे। नासा के ‘इनसाइट’ मिशन से भूकंप संबंधी आंकड़ों का उपयोग करते हुए, हमने इस बात के प्रमाण खोजे हैं कि भूकंपीय तरंगें सतह से 5.4 से 8 किलोमीटर नीचे की परत में धीमी हो जाती हैं, जो इन गहराईयों में तरल पानी की मौजूदगी के कारण हो सकता है।
लुप्त जल का रहस्य
मंगल हमेशा से वैसा बंजर रेगिस्तान नहीं था जैसा हम आज देखते हैं। अरबों साल पहले, नोआचियन और हेस्पेरियन काल (4.1 अरब से 3 अरब साल पहले) के दौरान, नदियों ने घाटियां बनाईं और वहां झीलें चमकती थीं।
नोआचियन और हेस्पेरियन काल मंगल ग्रह के भूगर्भिक इतिहास के दो महत्वपूर्ण कालखंड हैं। नोआचियन काल में, मंगल ग्रह बड़े और छोटे दोनों तरह के गड्ढों से ढका हुआ था। हेस्पेरियन काल के दौरान, नोआचियन सतह पर और छोटे गड्ढे जमा हो गए, लेकिन हेस्पेरियन सतह भी उभरी और फिर बाद में केवल छोटे गड्ढे ही जमा हुए। नोआचियन काल लगभग 3.7 अरब वर्ष पहले समाप्त हुआ था, जबकि हेस्पेरियन काल लगभग 2.9 से 3.3 अरब वर्ष पहले समाप्त हुआ था।
जैसे-जैसे मंगल का चुंबकीय क्षेत्र फीका पड़ता गया और उसका वायुमंडल क्षीण होता गया, ज़्यादातर सतही पानी गायब हो गया। कुछ अंतरिक्ष में गया, कुछ ध्रुवीय हिम क्षेत्रों (पोलर कैप्स) में जम गया और कुछ खनिजों में चला गया, जहां वो आज भी मौजूद है।
लेकिन वाष्पीकरण, बर्फ जमना और चट्टानें उस पूरे पानी का हिसाब नहीं दे सकतीं जो सुदूर अतीत में मंगल पर रहा होगा। गणनाओं से पता चलता है कि ‘लुप्त’ हो चुका पानी इतना है कि यह ग्रह को कम से कम 700 मीटर गहरे और शायद 900 मीटर तक गहरे समुद्र में ढक सकता है।
एक परिकल्पना यह है कि गायब पानी सतह में रिस गया। नोआचियन काल के दौरान मंगल ग्रह पर उल्कापिंडों की भारी बारिश हुई थी, जिससे दरारें बन गई होंगी, जिससे पानी भूमिगत हो गया होगा। सतह के पास जमी हुई पानी की परतों के विपरीत सतह के नीचे, गर्म तापमान पानी को तरल अवस्था में रखता होगा।
मंगल ग्रह की सतह पर कंपन
साल 2018 में, नासा का ‘इनसाइट’ लैंडर सुपर-सेंसिटिव सीस्मोमीटर के साथ ग्रह के अंदरूनी हिस्से की हलचल का पता लगाने के लिए मंगल ग्रह पर उतरा। ‘शियर वेव्स’ नामक एक विशेष प्रकार के कंपन का अध्ययन करके, हमने एक महत्वपूर्ण भूमिगत विसंगति पाई, जिसमें 5.4 और 8 किलोमीटर के गहराई के बीच एक परत है जहां ये कंपन अधिक धीमी गति से होते हैं।
यह ‘कम-वेग वाली परत’ संभवतः अत्यधिक छिद्रपूर्ण चट्टान है जो तरल पानी से भरी हुई है, जैसे पानी अवशोषित कर चुका स्पंज होता है। बिल्कुल पृथ्वी के ‘एक्वीफायर्स’ की तरह, जहां भूजल चट्टान के छिद्रों में रिसता है।
हमने गणना की कि मंगल ग्रह पर ‘एक्वीफायर्स की परत’ में इतना पानी हो सकता है कि यह ग्रह को 520-780 मीटर गहरे वैश्विक महासागर में ढक सके। अंटार्कटिका की बर्फ की चादर में मौजूद पानी से कई गुना ज़्यादा हो सकता है।
पानी की यह मात्रा अंतरिक्ष में हुई क्षति, खनिजों में रुके पानी और आधुनिक बर्फ की चोटियों को ध्यान में रखने के बाद, मंगल ग्रह पर ‘लुप्त’ पानी (710-920 मीटर) के अनुमान के अनुरूप है।
उल्कापिंड और मंगल में भूकंप
हमने 2021 में दो उल्कापिंडों के प्रभाव और 2022 में एक भूकंप के कारण अपनी खोज की। इन घटनाओं ने भूपटल में भूकंपीय तरंगें भेजीं, जैसे कि तालाब में पत्थर गिराना और तरंगों को फैलते देखना।
‘इनसाइट’ के सीस्मोमीटर ने इन कंपनों को दर्ज किया। हमने घटनाओं से उच्च-आवृत्ति संकेतों का उपयोग किया। हमने ‘रिसीवर फ़ंक्शन’ की गणना की, जो इन तरंगों के होते हैं क्योंकि वे भूपटल में परतों के बीच गूंजते हैं, जैसे कि एक गुफ़ा का मानचित्रण करने वाली प्रतिध्वनियां। इनसे हमें उन सीमाओं को इंगित करने में मदद मिलती है जहां चट्टान बदलती है, जिससे 5.4 से 8 किलोमीटर गहरी जलयुक्त परत का पता चलता है।
यह क्यों मायने रखती है
जैसा कि हम जानते हैं, तरल जल जीवन के लिए आवश्यक है। पृथ्वी पर, सूक्ष्मजीव गहराई में, पानी से भरी चट्टान में पनपते हैं।
क्या इन जलाशयों में समान जीवन, शायद प्राचीन मंगल ग्रह के पारिस्थितिकी तंत्र के अवशेष, मौजूद हो सकते हैं? इसका पता लगाने का केवल एक ही तरीका है।
यह पानी अधिक जटिल जीवों के लिए भी जीवन रेखा हो सकता है - जैसे कि भविष्य के मानव खोजकर्ता। शुद्ध होने पर, यह पीने का पानी, ऑक्सीजन या रॉकेट के लिए ईंधन प्रदान कर सकता है।
बेशक, दूर के ग्रह पर किलोमीटर गहराई तक ड्रिलिंग करना एक कठिन चुनौती है। हालांकि, मंगल की भूमध्य रेखा के पास एकत्र किए गए हमारे आंकड़ों से अन्य जल-समृद्ध क्षेत्रों की संभावना का भी संकेत मिलता है - जैसे कि यूटोपिया प्लैनिटिया का बर्फीला मिट्टी का जलाशय।
मंगल ग्रह के रहस्यों की खोज में आगे क्या ?
हमारा भूकंपीय आंकड़ा मंगल के केवल एक हिस्से को कवर करता है। शेष ग्रह पर संभावित जल परतों का मानचित्रण करने के लिए भूकंपमापी वाले नए मिशनों की आवश्यकता है।
भविष्य के रोवर या ड्रिल एक दिन इन जलाशयों का दोहन कर सकते हैं, जीवन के निशानों के लिए उनके रसायन विज्ञान का विश्लेषण कर सकते हैं।
इन जल क्षेत्रों को पृथ्वी के सूक्ष्म जीवों से भी सुरक्षा की आवश्यकता है, क्योंकि वे मूल मंगल ग्रह के जीव विज्ञान को आश्रय दे सकते हैं।
(द कन्वरसेशन) मनीषा