आपकी माफी किस तरह अधिक प्रभावशाली हो सकती है
(द कन्वरसेशन) वैभव मनीषा
- 12 May 2025, 12:15 PM
- Updated: 12:15 PM
(शिरी लेव-आरि, रॉयल होलोवे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन)
लंदन, 12 मई (द कन्वरसेशन) जब आप किसी से माफी मांगते हैं तो कई बार ऐसे सही शब्द खोज पाना मुश्किल हो जाता है, जिससे सामने वाले को लगे कि वाकई आप क्षमा मांग रहे हैं। लेकिन ऐसे कुछ भाषाई तरीके हैं जिनका इस्तेमाल करके आप अपना सटीक संदेश प्रभावशाली तरीके से दे सकते हैं।
मेरे हालिया शोध से पता चलता है कि हम जो शब्द चुनते हैं उनकी लंबाई इस बात को प्रभावित करती है कि माफी कितनी ईमानदार से मांगी जा रही है।
क्षमा को अक्सर ‘हल्की बात’ के रूप में वर्णित किया जाता है। कोई भी व्यक्ति ‘सॉरी’ बोल देता है, भले ही वह वास्तव में कैसा भी महसूस करता हो। लेकिन माफी काम भी करती है। शोध से पता चलता है कि अगर कोई व्यक्ति माफी मांगता है तो लोग बेहतर महसूस करते हैं और इस बात की संभावना अधिक होती है कि वे माफी मांगने वाले के साथ फिर से सहयोग करें।
माफी को अधिक प्रेरक बनाने का एक तरीका इसे महंगा बनाना है। जब क्षमाप्रार्थी लोग पैसे, प्रयास या समय खर्च करने के रूप में लागत वहन करने को तैयार होते हैं, तो उनकी माफी को बेहतर तरीके से स्वीकार किया जाता है।
साल 2009 के एक अध्ययन में पाया गया कि लोग उस तरह की माफी से अधिक आश्वस्त होते हैं जिसके लिए क्षमा मांगने वाले को पैसे खर्च करने पड़ते हैं, न कि उन माफी से जो बिना किसी लागत के दी जा सकती हैं।
हालांकि, माफी मांगते समय प्रयास करने के अन्य तरीके भी हैं। किसी शब्द की लंबाई और उसका सामान्य होना इस बात को प्रभावित करता है कि उसे कहना या लिखना कितना कठिन है। लंबे शब्दों के लिए अधिक स्पष्टता की आवश्यकता होती है। असामान्य शब्दों को याद रखना और बोलना या लिखना कठिन होता है। इसलिए, अगर कोई अपनी माफी में अधिक प्रयास करके अपना खेद व्यक्त करना चाहता है, तो वह लंबे और कम सामान्य शब्दों का उपयोग कर सकता है।
साथ ही, असामान्य शब्दों को समझना भी कठिन होता है, जिसका अर्थ है कि वे जिसके लिए बोले जा रहे हैं, उसके साथ-साथ बोलने वाले के लिए भी बोझिल होते हैं। लेकिन लंबे शब्द जो असामान्य नहीं होते हैं, उन्हें समझना आमतौर पर कठिन नहीं होता है।
वे अन्य शब्दों की तुलना में अधिक विशिष्ट होते हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें समझना और भी आसान हो सकता है। फिर, माफी मांगने वाला कोई समझदार व्यक्ति लंबे शब्दों का चयन कर सकता है जो दुर्लभ नहीं हों। जिससे उसके लिए माफी मांगना कठिन हो जाता है, लेकिन जिससे माफी मांगी जा रही है, उसके लिए नहीं।
मैंने माफी में शब्दों की लंबाई और शब्दों की समानता की भूमिका की पड़ताल करने के लिए दो अध्ययन किए। एक में वास्तविक दुनिया में माफी का विश्लेषण किया, और एक में अलग-अलग लंबाई और समानता वाले शब्दों के साथ माफी के बारे में लोगों की धारणाओं का परीक्षण किया गया।
पहले अध्ययन में, मैंने 25 मशहूर हस्तियों और 25 सामान्य लोगों द्वारा ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर डाले गए माफी के संदेशों का इस्तेमाल किया। इन संदेशों की तुलना उन्हीं उपयोगकर्ताओं के अन्य ट्वीट से की गई। मेरे परिणामों में सामने आया कि माफी वाले एक्स संदेश में गैर-माफी वाले संदेशों की तुलना में लंबे शब्द शामिल थे।
दूसरे अध्ययन में मैंने जांच की कि क्या लोग लंबे या कम सामान्य शब्दों वाली माफी को अधिक गंभीर मानते हैं। प्रतिभागियों को माफी बोलने वाले तीन वाक्य दिए गए जिनका अर्थ एक जैसा था लेकिन शब्द लंबाई या शब्द समानता में भिन्न थे।
उदाहरण एक:
मेरा कार्य यह नहीं दर्शाता कि मैं कौन हूं (संक्षिप्त, सामान्य)
मेरा कार्य मेरे वास्तविक स्वरूप को नहीं दर्शाता (संक्षिप्त, कम सामान्य)
मेरा कार्य मेरे वास्तविक चरित्र को नहीं दर्शाता (लंबा, कम सामान्य)
उदाहरण दो:
मेरा इरादा शत्रुतापूर्ण तरीके से उत्तर देने का नहीं था (संक्षिप्त, सामान्य)
मेरा इरादा आक्रामक शैली में उत्तर देने का नहीं था (संक्षिप्त, कम सामान्य)
मेरा इरादा टकरावपूर्ण तरीके से उत्तर देने का नहीं था (लंबा, कम सामान्य)
प्रतिभागियों को बिना किसी क्रम (रैंडम तरीके से) में तीन वाक्य दिए गए और उन्होंने उन्हें सबसे अधिक से लेकर सबसे कम क्षमा भाव वाले वाक्यों के रूप में क्रमबद्ध किया। परिणामों से पता चला कि प्रतिभागियों ने लंबे शब्दों वाले वाक्यों को छोटे शब्दों वाले वाक्यों की तुलना में अधिक क्षमा भाव वाले वाक्य के रूप में वर्गीकृत किया। इसके विपरीत, शब्द की सामान्य प्रकृति ने इस बात को प्रभावित नहीं किया कि वाक्य कितने क्षमायाचक लग रहे थे।
दोनों अध्ययनों के सम्मिलित परिणाम हैं: लोग क्षमा मांगते समय लंबे शब्दों का उपयोग करते हैं और लंबे शब्दों वाली क्षमा को अधिक क्षमायाचक के रूप में देखते हैं। लेकिन असामान्य शब्दों का उपयोग करने वाली क्षमा याचना का समान प्रभाव नहीं पड़ता है। दूसरे शब्दों में कहें तो लोग अपने खेद को ऐसे माफीनामे के साथ व्यक्त करते हैं जो उनके लिए कहना या लिखना कठिन होता है लेकिन जिसके लिए कहे जा रहे हों, उसके लिए समझना कठिन नहीं होता।
मेरा शोध दिखाता है कि हम न केवल अपने द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों के अर्थ के माध्यम से बल्कि शब्दों के रूप के माध्यम से भी संदेश कैसे व्यक्त करते हैं। शोध यह भी दिखाता है कि किसी शब्द का रूप (इस मामले में, इसकी लंबाई) संदर्भ के अनुसार अर्थ कैसे व्यक्त कर सकता है। यानी, शब्द ‘चरित्र’ का सामान्य रूप से माफी मांगने वाला अर्थ नहीं होता है, लेकिन माफ़ी के संदर्भ में, इसकी लंबाई प्रयास का प्रतीक है और इसकी व्याख्या अधिक पश्चाताप व्यक्त करने के रूप में की जा सकती है।
(द कन्वरसेशन) वैभव