उद्धव की शिवसेना अपने रुख से समझौता नहीं करती, लड़ने में रखती है विश्वास: संजय राउत
नेत्रपाल
- 10 May 2025, 09:23 PM
- Updated: 09:23 PM
मुंबई, 10 मई (भाषा) शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट के एक वर्ग का अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ विलय होने संबंधी अटकलों के बीच राकंपा (शरदचंद्र पवार) पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी अपने रुख से कभी समझौता नहीं करती बल्कि लड़ाई करना पसंद करती है।
राउत ने कहा कि शिवसेना (उबाठा) के नेताओं के पास सहकारी चीनी मिल और शैक्षणिक संस्थान नहीं हैं, जो राकांपा और राकांपा (शरदचंद्र पवार) के नेताओं को मंच प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार, पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और दोनों गुटों के अन्य नेता शुक्रवार को सातारा में रयत शिक्षण संस्था की बैठक में शामिल हुए।
शरद पवार, रयत शिक्षण संस्था के अध्यक्ष हैं।
राउत ने जून 2022 में एकनाथ शिंदे के शिवसेना में विभाजन करने का जिक्र करते हुए कहा, “वे (शरद पवार और अजित पवार) पहले से ही एक साथ हैं। वे हमारे जैसे नहीं हैं। हमारा स्वाभिमानी रुख उन लोगों से हाथ मिलाने का नहीं है, जिन्होंने हमारी पार्टी को तोड़ा, हमारी सरकार को गिराया, सत्ता और पैसे का दुरुपयोग किया तथा महाराष्ट्र की पीठ में छुरा घोंपा।”
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार को आगे बढ़ाया, जिन्होंने अपने-अपने दलों के खिलाफ विद्रोह किया तथा महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचाया था।
सांसद राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली ‘असली’ शिवसेना इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट है कि उसे केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने और विपक्ष को धमकाने वाली प्रवृत्ति से दूर रहना होगा। उन्होंने कहा, “हम लड़ने वाले लोग हैं। हम समझौता करने वाले लोग नहीं हैं।”
शिवसेना (उबाठा) नेता ने कहा, “कुछ दल अधिक उदार हैं और कहते हैं कि (विलय करना है या नहीं) निर्णय पार्टी कार्यकर्ताओं से परामर्श के बाद लिया जाना चाहिए।”
राज्यसभा सदस्य ने हालांकि जोर देकर कहा कि उन्हें शरद पवार से कोई शिकायत नहीं है।
शरद पवार ने इस सप्ताह की शुरुआत में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि पार्टी के अंदर दो विचार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एक तो यह कि हम फिर से एकजुट हो जाएं (अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के साथ) और दूसरा वर्ग सीधे या परोक्ष रूप से भाजपा के साथ नहीं जाना चाहता।’’
पवार ने कहा था, ‘‘आइए, हम विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल हों और गठबंधन को फिर से संगठित करें।’’
भाषा जितेंद्र