जम्मू-कश्मीर: राजनीतिक दलों ने भारत-पाक के बीच ‘संर्घष विराम’ के फैसले का स्वागत किया
जितेंद्र प्रशांत
- 10 May 2025, 09:11 PM
- Updated: 09:11 PM
श्रीनगर, 10 मई (भाषा) जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के फैसले का स्वागत किया और क्षेत्र में स्थायी शांति की आशा व्यक्त की।
इससे पहले, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने यहां प्रेस वार्ता में बताया कि पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) ने अपराह्न तीन बजकर 35 मिनट पर भारतीय डीजीएमओ से फोन पर बात की।
उन्होंने कहा, “उनके बीच यह सहमति बनी कि दोनों पक्ष शनिवार को शाम पांच बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद कर देंगे।”
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा का स्वागत किया और कहा कि देर आए दुरुस्त आए।
उमर अब्दुल्ला ने अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम बहाली के बारे में भारत सरकार के प्रवक्ता द्वारा की गई घोषणा का तहे दिल से स्वागत करता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देर आए दुरुस्त आए, लेकिन यदि यह संघर्ष विराम दो या तीन दिन पहले हो जाता, तो शायद जो रक्तपात हमने देखा और जो बहुमूल्य जानें हमने गंवाईं, वे सुरक्षित होतीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब यह जम्मू-कश्मीर सरकार का कर्तव्य है कि इस दौरान जो लोग प्रभावित हुए हैं, उन्हें वह राहत और मुआवजा प्रदान करे। हमने बहुमूल्य जानों के नुकसान के लिए मुआवजे की घोषणा की है। अब हमें उन लोगों को भी मुआवजा देना होगा, जो घायल हुए हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू, पुंछ, राजौरी, तंगधार और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा पार से गोलाबारी और हमलों के कारण काफी तबाही हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें यह भी उम्मीद है कि हम हज उड़ानें फिर से शुरू कर सकेंगे, क्योंकि हवाई अड्डा बंद होने के कारण हम हज यात्रियों को नहीं भेज पा रहे थे।’’
इस बीच, उमर अब्दुल्ला के पिता एवं सत्तारूढ़ दल नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वास की कमी को पाटने की प्राथमिक जिम्मेदारी इस्लामाबाद की है, जिसे सीमा पार आतंकवाद के संबंध में नयी दिल्ली की चिंताओं का समाधान करना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने यहां एक बयान में शत्रुता को तत्काल समाप्त करने की जरूरत पर बल दिया, क्योंकि इससे जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहने वाले लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले हमारे लोगों को दोनों पड़ोसी देशों के बीच बिगड़ते हालात का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इस कदम से हमारे लोगों की पीड़ा काफी हद तक कम होगी, जो गोलीबारी में फंस गए हैं।’’
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी दोस्ती की वकालत की है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन विश्वास की कमी को पाटने की प्राथमिक जिम्मेदारी पाकिस्तान की है, जिसे सीमा पार आतंकवाद के बारे में भारत की वास्तविक चिंताओं को दूर करना चाहिए।’’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने संघर्ष विराम का स्वागत किया और कहा कि दोनों देशों को अपने मुद्दों को सुलझाना चाहिए तथा स्थायी शांति बहाल करने के तरीके खोजने चाहिए।
मुफ्ती ने पार्टी द्वारा जारी एक वीडियो में कहा, “यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो पिछले कुछ दिनों से सीमा पार से हो रही गोलाबारी के कारण पीड़ित हैं। मुझे यकीन है कि इस खबर से सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को राहत मिली होगी।”
उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी को भी स्वीकार्य नहीं है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुफ्ती ने कहा, “आतंकवादियों के हाथ में नहीं होना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान के बीच कब युद्ध या शांति होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “सैन्य कार्रवाई कोई समाधान नहीं है। अंतत: राजनीतिक हस्तक्षेप होना चाहिए।”
मुफ्ती ने कहा कि भारत को इस क्षेत्र में बड़े भाई की भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमारा देश बहुत बड़ा है, इसे न केवल पाकिस्तान के साथ बल्कि पूरे क्षेत्र के साथ बड़े भाई की भूमिका निभानी चाहिए ताकि स्थायी शांति हो और लोग समृद्ध हों।”
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि दोनों देश स्थायी शांति बहाल करने के लिए अपने मतभेदों को सुलझाने का प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा, “मैं ट्रंप द्वारा दी गई खबर से बहुत खुश हूं। यह न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए शांति का संदेश लेकर आया है।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एमवाई तारिगामी ने भी संघर्ष विराम के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे दोनों पक्षों के लोगों को बड़ी राहत मिली है।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है और हर जगह राहत की भावना है।
लोन ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों के निवासियों ने बहुत कठिन समय बिताया है। उम्मीद है कि वे अपना जीवन फिर से शुरू कर पाएंगे और हम एक समाज के रूप में उनकी सहायता करेंगे तथा उनके घरों को फिर से बनाने में उनकी मदद करेंगे।”
हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने शनिवार को भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के फैसले का स्वागत किया और कहा कि बातचीत ही शांति व स्थिरता का रास्ता है।
मीरवाइज ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “अलहमदुलिल्लाह। समझदारी की जीत हुई और भारत व पाकिस्तान संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं।”
हुर्रियत अध्यक्ष ने कहा कि इस घोषणा से सभी को बड़ी राहत मिली है, खासकर नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों ओर रहने वाले लोगों को, जहां लोगों की जानें चली गईं और आश्रय तबाह व आजीविका खत्म हो गई।
‘ऑल पार्टीज सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी’ (एपीएससीसी) के अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना ने संघर्ष विराम को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया और कहा कि यह निर्णय न केवल सीमा पर शांति स्थापित करने में मदद करेगा, बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच विश्वास बहाल करने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
रैना ने दोनों देशों के नेतृत्व से बातचीत के जरिए सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने की अपील की।
भाषा जितेंद्र